नई दिल्ली। इसी साल फरवरी मेंअमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की भारत यात्रा के दौरान दिल्ली में हुए दंगों में आरोपित जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU) के पूर्व छात्र उमर खालिद (Umar Khalid) के खिलाफ गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (UAPA) के तहत मुकदमा चलाने के लिए पुलिस को मंजूरी मिल गई है। कई महीनों के विचार विमर्श के बाद दिल्ली की केजरीवाल सरकार ने पुलिस को यह स्वीकृति दे दी। गृह मंत्रालय पहले ही इसकी मंजूरी दे चुका है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उमर खालिद को 14 सितंबर को गिरफ्तार किया था।
दिल्ली में हुए इन दंगों में 57 लोगों की मौत हो गई थी। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने अन्य आरोपितो के साथ अगस्त में उमर खालिद को गिऱफ्तार किया था। पुलिस ने अगस्त में चार्जशीट दायर की। चार्जशीट में कहा गया कि दंगों से पहले आम आदमी पार्टी (आप) के निलंबित पार्षद ताहिर हुसैन ने 8 जनवरी को उमर खालिद और यूनाइटेड अगेंस्ट हेट के खालिद सैफी से मुलाकात की थी। इस मीटिंग में उमर ने हुसैन से कहा कि “ट्रंप की यात्रा के वक्त कुछ बड़ा (दंगों) के लिए तैयार रहें।” चार्जशीट के अनुसार, उमर ने कहा कि वह और पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई, PFI) के लोग ताहिर की वित्तीय मदद करेंगे।
दिल्ली की कड़कड़डूमा अदालत ने पिछले महीने तिहाड़ जेल में बंद उमर खालिद की न्यायिक हिरासत अवधि 20 नवंबर तक के लिए बढ़ा दी थी। इसके साथ ही अदालत ने जेल प्रशासन को जेल के अंदर खालिद की सुरक्षा का ध्यान रखने को कहा था। साथ ही अदालत ने आरोपी खालिद को भी कहा कि वह अपनी सुरक्षा को लेकर जेल प्रशासन द्वारा उठाए जाने वाले कदमों पर सहयोग करे।
उमर का विवादों से रहा है पुराना नाता
जेएनयू से पीएचडी करने वाले उमर खालिद ने पहली बार 2016 में उस वक्त सुर्खियां बटोरीं थी, जब जेएनयू में संसद हमले के दोषी अफजल गुरु की फांसी के खिलाफ कथित तौर पर एक कार्यक्रम में भारत विरोधी नारे लगाए गए थे। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने तब कन्हैया कुमार को गिरफ्तार किया था। उसके बाद खालिद लापता हो गया। 23 फरवरी को जेएनयू कैंपस में दिखने पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया था, मगर बाद में जमानत दे दी गई। उमर खालिद के पिता भी कट्टरवादी संगठन स्टूडेंट्स इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (समिमी, SIMI) के सदस्य और वेलफेयर पार्टी ऑफ इंडिया के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे हैं।