नयी दिल्ली उत्तर पूर्वी दिल्ली हिंसा में अब तक मारे जाने वालों की संख्या 39 हो चुकी है और 200 से भी अधिक लोग घायल हैं। मरने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। कहीं नालों से शव बरामद हो रहे हैं, तो कहीं जले हुए घर और गाड़ियों से लाशें मिल रही हैं। इतनी तबाही मचाने के लिए दंगाइयों ने एक नहीं, बल्कि कई तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया। आइए सबके बारे में जानते हैं।
तबाही मचाने के लिए दंगाइयों का सबसे बड़ा हथियार रही बड़ी गुलेल, जिसे रिक्शे पर बनाया गया था। जी हां बड़ी गुलेल, जो दंगाइयों का सबसे बड़ा और अहम हथियार था। एक ऐसी गुलेल है, जिसे यहां से वहां ले जाया जा सकता है, तो एक दूसरी ऐसी बड़ी गुलेल है, जिसे छतों पर फंसाया गया था। बता दें कि ताहिर हुसैन की छत पर से भी ऐसे ही गुलेल का इस्तेमाल किए जाने का दावा किया जा रहा है। इस गुलेल की तस्वीरें ट्विटर पर भी खूब शेयर हो रही हैं। इसके अलावा भी दंगाइयों ने कई तरह के हथियार इस्तेमाल किए।
1- दूर तक मार करने वाली बड़ी मोबाइल गुलेल
दिल्ली के शिव विहार इलाके में मिली ये गुलेल एक रिक्शे पर लोहे के एंगल को वेल्डिंग कर के बनाई गई थी। जिस तरह छोटी गुलेल से मामूली गिट्टियां चलाई जाती हैं, ठीक वैसे ही इस बड़ी गुलेल से पेट्रोल बम की बोतलें, बड़े-बड़े पत्थर या और भी चीजें फेंकी जा सकती हैं। यानी किसी भारी चीज को दूर तक फेंकने के लिए ये गुलेल बनाई गई, वो भी रिक्शे के ऊपर। यानी मोबाइल गुलेल, जिसे जहां चाहे, वहां ले जाया जा सके और घटना को अंजाम दिया जा सके।
2- सटीक निशाने के लिए छोटी गुलेल
ऐसा नहीं है कि दंगाइयों के पास सिर्फ बड़ी गुलेल ही थी, उनकी पास छोटी गुलेल भी थी। ये छोटी गुलेल किसी पर सटीक निशाना लगाकर उस पर जानलेवा हमला करने के लिए इस्तेमाल की गई होंगी। इनके हथियार साफ होता है कि दंगाई पूरी तैयारी से आए थे।
3- पेट्रोल बम
ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत से जो चीजें बरामद हुई हैं, वो भी दिखाती हैं कि इन दंगाइयों के पास कैसे-कैसे हथियार थे। दंगाइयों के पास पेट्रोल बम भी थे, जिसे उन्होंने कोल्ड ड्रिंक की बोतलों में पेट्रोल भर कर बनाया था।
4- एसिड के पाउच
किसी के ऊपर एसिड गिर जाए, ये बात तो सोचकर भी रूह कांप जाती है। दिल्ली हिंसा के दंगाइयों ने एसिड को भी अपने हथियार की तरह इस्तेमाल किया। ताहिर हुसैन की बिल्डिंग की छत पर भी एसिड के पाउच मिले हैं।
5- पिस्तौल और तमंचे
दिल्ली हिंसा में शाहरुख को पिस्तौल लहराते तो सभी ने देखा था। उसने पुलिस और भीड़ पर 8 राउंड गोलियां भी चलाई थीं। जहां-जहां हिंसा हुई, वहां खूब गोलियां चलीं। यहां तक कि हेड कॉन्स्टेबल रतन लाल की मौत भी गोली लगने की वजह से ही हुई। यानी दंगाई अपने साथ पिस्तौल या तमंचे लिए हुए थे।
6- ईंट-पत्थर
ये वो हथियार है जो हर जगह हिंसा करने वाली भीड़ के हाथ में होता है। इस सबसे आसानी से मिलने वाले हथियार को भी दंगाइयों ने खूब इस्तेमाल किया। दंगाई तो बोरियों में ईंट-पत्थर भरकर अपने साथ लाए थे। दंगा करने वालों ने ईंट-पत्थर का कितना इस्तेमाल किया, इसका अंदाजा तो आपको हिंसा प्रभावित इलाकों की सड़कें देखकर ही लग जाएगा, जो ईंटों से पटी पड़ी हैं।
7- रॉड और डंडे
हिंसा के पीड़ितों ने ये बात कही है कि दंगाइयों के पास लोहे की रॉड भी थीं, जिनसे वह लोगों को पीट रहे थे।
8- चाकू और धारदार हथियार
दंगाइयों के हाथों में चाकू और अन्य धारदार हथियार भी थे। कई कत्ल बेरहमी से किए गए हैं।
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