हरिद्वार। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह ने संत शंकराचार्य राजराजेश्वर से उनके आश्रम में मुलाकात की। संत शंकराचार्य राजराजेश्वर संघ और भाजपा के करीबी समझे जाते हैं हालांकि, उन्होंने मुलाकात के बाद कहा कि वह इन दोनों संगठनों की नीतियों के समर्थक नहीं है जो देश की राजनीति को धर्म के आधार पर विभाजित करने का काम कर रहे हैं।  दिग्विजय ने ये साफ किया कि वो सिर्फ आशीर्वाद लेने के लिए शंकराचार्य के पास पहुंचे थे।  साथ ही उन्होंने अखाड़ा परिषद के संत के लापता होने पर भी अपनी प्रतिक्रिया दी।

दिग्विजय ने कहा कि वह बांध से  विस्थापित  हुए लाखों लोगों के मुद्दे पर जनजागरण को लेकर नर्मदा यात्रा शुरू करने जा रहे हैं और उसे शुरू करने से पहले वह शंकराचार्य का आशीर्वाद लेने आए थे.
उन्होंने कहा, ‘धर्मगुरूओं से मिलने में कोई बुराई नहीं है. मैं हिंदू था, मैं हिंदू हूं और हिंदू ही रहूंगा. लेकिन मैं भाजपा या संघ की विचारधारा का समर्थन नहीं करता जो धर्म के आधार पर देश की राजनीति को विभाजित करने का काम कर रहे हैं.’

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के प्रवक्ता और उदासी अखाड़ा के महंत मोहन दास के लापता होने के बारे में प्रतिक्रिया देते हुए दिग्विजय ने कहा, कि योग गुरू बाबा रामदेव के गुरू शंकर देव का भी आज तक पता नहीं चला है। उन्होंने कहा कि हमने सीबीआई जांच की मांग की थी लेकिन उसका भी कोई नतीजा नहीं निकला।
बया दें कि, महंत मोहन दास हरिद्वार से कल्याण (मुम्बई) की यात्रा के दौरान रास्ते में लापता हो गए। उनके मोबाइल की अंतिम लोकेशन रविवार शाम को मेरठ में मिली है, मगर उनका कोई पता नहीं चल पाया है। राजकीय रेलवे पुलिस अधीक्षक, भोपाल (एसपी, जीआरपी) अनीता मालवीय ने सोमवार को आईएएनएस को बताया कि महंत मोहन दास हरिद्वार-लोकमान्य तिलक टर्मिनल गाड़ी क्रमांक 12172 के ए-वन कोच में यात्रा कर रहे थे। वे निजामुद्दीन स्टेशन पर उतरे थे। उसके बाद उन्हें किसी भी यात्री व अटेंडेंट ने नहीं।

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