नई दिल्ली। (Devastating earthquake in Tibet) चीन के तिब्बत क्षेत्र में मंगलवार सुबह आए भूकंप (earthquake) से 95 लोगों की मौत हो गई जबकि 130 घायल हो गए। चीन की सरकारी न्यूज एजेंसी सिन्हुआ के मुताबिक सुबह 9:05 बजे (भारतीय समयानुसार सुबह 6:30 बजे) आए इस भूकंप का केंद्र तिब्बत के शिजांग में जमीन से 10 किलोमीटर नीचे था।
भारत के नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी (NCS) के मुताबिक भूकंप सुबह 6:35 बजे महसूस किया गया था। रिक्टर स्केल पर इस भूकंप की तीव्रता 7.1 थी। NCS के डेटा के मुताबिक पहले भूकंप के तुरंत बाद इस क्षेत्र में 2 और भूकंप आए। दूसरे भूकंप की तीव्रता 4.7 थी जो सुबह 7 बजकर 2 मिनट पर आया। यह 10 किलोमीटर की गहराई पर था। तीसरा भूकंप 4.9 तीव्रता का था जो सुबह 7 बजकर 7 मिनट पर आया और 30 किलोमीटर की गहराई पर था। (earthquake 2025)
भूकंप का असर
भूकंप का असर नेपाल, भूटान के अलावा भारत के सिक्किम, पश्चिम बंगाल, बिहार, उत्तराखंड, दिल्ली-एनसीआर आदि में भी दिखा। फिलहाल भारत में इससे जान-माल के नुकसान की कोई खबर नहीं है।
NCS ने बताया कि पहले शक्तिशाली भूकंप के तुरंत बाद इस क्षेत्र में 2 और भूकंप आए। स्थानीय अधिकारी लगातार हालात का जायजा ले रहे हैं, इस वजह से हताहतों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है।
प्रभावित इलाके में लेवल-3 इमरजेंसी घोषित
भूकंप के बादतमाम इमारतें ताश के पत्तों की तरह ढह गईं। बड़ी संख्या में लोग मलबे में फंस गए जिन्हें रेस्क्यू किया जा रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक स्थानीय अधिकारी भूकंप के नुकसान का आकलन करने के लिए इलाके के लोगों से संपर्क कर रहे हैं।
चीन की स्टेट काउंसिल ने भूकंप प्रभावित इलाके में टास्क फोर्स भेजी है और लेवल-3 इमरजेंसी घोषित कर दी है।
चीनी वायुसेना भी प्रभावित क्षेत्र में रेस्क्यू के काम में जुटी है। भूकंप की वजह से इलाके का इन्फ्रास्ट्रक्चर बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गया है, जिससे यहां बिजली और पानी दोनों ही कट गए हैं। लेवल-3 की इमरजेंसी तब घोषित की जाती है जब दुर्घटना इतनी बड़ी हो कि स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार उससे निपट में सक्षम न हों। ऐसे हालात में केंद्र सरकार अपनी तरफ से तत्काल मदद भेजती है।
आज मंगलवार को आया यह भूकंप पिछले 5 साल में 200 किलोमीटर के दायरे में दर्ज किया गया सबसे शक्तिशाली भूकंप था। इसका केंद्र उस जगह पर मौजूद है जहां भारत और यूरेशियाई टेक्टोनिक प्लेट्स टकराती हैं। इन प्लेटों के टकराने से हिमालय के पर्वतों में ऊंची तरंग उठती हैं।
इसलिए आता है भूकंप
धरती की सतह मुख्य तौर पर 7 बड़ी और कई छोटी-छोटी टेक्टोनिक प्लेट्स से मिलकर बनी है। ये प्लेट्स लगातार तैरती रहती हैं और कई बार आपस में टकरा जाती हैं। टकराने से कई बार प्लेट्स के कोने मुड़ जाते हैं और ज्यादा दबाव पड़ने पर ये प्लेट्स टूटने लगती हैं। ऐसे में नीचे से निकली ऊर्जा बाहर की ओर निकलने का रास्ता खोजती है और इस डिस्टर्बेंस के बाद भूकंप आता है।