नई दिल्ली। (Serial Killer Doctor) डॉक्टर को “धरती का भगवान” कहा जाता है। लेकिन, यदि कोई डॉक्टर लोगों की जान लेने लग जाए तो उसे आप क्या कहेंगे? संभवतः “धरती का शैतान”। अफसोस! यह डॉक्टर तो इससे भी आगे निकल गया और कत्ल करने का जुनून इस हद तक बढ़ा कि 50 कत्ल करने के बाद गिनना ही छोड़ दिया।
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ जिले के पुरेनी गांव के रहने वाले इस बीएएममएस डॉक्टर का नाम है- देवेन्द्र शर्मा। 62 साल के हो चुके देवेन्द्र को दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा की टीम ने हत्या के एक मामले में पेरोल की अवधि खत्म होने के छह महीने बाद पकड़ा है। उसने पुलिस के सामने कबूल किया है कि 50 लोगों की हत्या करने के बाद उसने लाशों की गिनती करना बंद कर दिया था।
देवेंद्र दिल्ली और आसपास तके राज्यों में 50 से ज्यादा ट्रक और टैक्सी ड्राइवरों की हत्या कर चुका है। उसको बपरोला इलाके से गिरफ्तार किया गया। पेरोल पर बाहर आने के बाद फरार होकर वह इसी साल जनवरी से वहां रह रहा था। मीडिया की पूर्व की खबरों का हवाला देते हुए पुलिस ने दावा किया कि वह हत्या के संभवत: 100 से ज्यादा मामलों में संलिप्त रहा है। हालांकि, वास्तविक संख्या की अभी पुष्टि नहीं की जा सकती क्योंकि दिल्ली, उत्तर प्रदेश, हरियाणा और राजस्थान में उसके खिलाफ दर्ज मामले में संबंधित राज्यों की पुलिस जांच कर रही है ।
पुलिस ने बताया कि देवेन्द्र शर्मा अपहरण और हत्या के कई मामलों में दोषी करार दिया जा चुका है। उत्तर प्रदेश में फर्जी गैस एजेंसी चलाने के मामले में उसे दो बार गिरफ्तार किया गया। किडनी बेचने के गिरोह चलाने के मामले में वह कई राज्यों में जेल भी जा चुका है।
डीसीपी (क्राइम) राकेश पवेरिया ने बताया, “पेरोल पर फरारी के बाद देवेंद्र पहले मोहन गार्डेन में रहा और वहां से वह बपरोला चला गया। वहां पर उसने एक विधवा से शादी कर ली और प्रॉपर्टी का कारोबार करने लगा। सूचना मिलने पर हमारी टीम ने मंगलवार को उसे गिरफ्तार किया।”
देवेन्द्र ने बिहार में सीवान से बीएएमएस की डिग्री हासिल करने के बाद 1984 से करीब 11 सालों तक जयपुर में जनता हॉस्पिटल के नाम से क्लीनिक चलाया। वर्ष 1992 में उसने गैस डीलरशिप स्कीम में 11 लाख रुपये का निवेश किया लेकिन इसमें उसे भारी नुकसान हुआ। इसके बाद 1995 में उसने अलीगढ़ के छारा गांव में फर्जी गैस एजेंसी शुरू कर दी और बाद में आपराधिक गतिविधियों में शामिल हो गया।
डीसीपी राकेश पवेरिया ने बताया कि देवेन्द्र के सहयोगी एलपीजी सिलेंडर ले जाने वाले ट्रकों को लूटने के साथ ही ड्राइवर की हत्या कर देते थे। इसके बाद ट्रक से सिलेंडरों को अपनी फर्जी गैस एजेंसी में उतार लेते थे।
गैस एजेंसी की डीलरशिप में हुआ लाखों का घाटा पूरा करने के लिए देवेन्द्र किडनी रैकेट में शामिल हो गया। इस रैकेट के तार जयपुर से शुरू होकर गुरुग्राम तक फैलते चले गए। 1994 से 2004 के बीच इसने करीब 125 के किडनी अवैध तरीके से ट्रांसप्लांट करवाई। एक केस के 5 से 7 लाख रुपये तक वसूले जाते थे। 2004 में गुरुग्राम किडनी रैकेट केस में उसे गिरफ्तार किया गया था। यह रैकेट अनमोल नर्सिंग होम में डॉक्टर अमित द्वारा चलाया जा रहा था।
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