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नए कृषि कानूनों का असर, फॉर्चून राइस लिमिटेड को खरीदना होगा अनुबंध मूल्य पर धान

नई दिल्ली। नए कृषि कानूनों के खिलाफ किसान आंदोलन के बीच मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले में इस कानून के अनुसार पहली कार्रवाई हुई है। किसानों से धान की खरीद बीच में ही बंद कर देने वाली दिल्ली की फॉर्चून राइस लिमिटेड कोन्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया ने अनुबंध मूल्य (Contract price) पर ही धान की खरीद करने का आदेश दिया है। इस मामले में किसानों को 24 घंटे के अंदर न्याय मिला है।

दरअसल, किसानों से अनुबंध के बावजूद फॉर्चून राईस लिमिटेड द्वारा धान नहीं खरीदा जा रहा था। इस प्रकरण के सामने आने के बाद मध्य प्रदेश के कृषि विभाग द्वारा तत्परतापूर्वक कार्रवाई की गई। नए कृषि कानून “किसान (सशक्तिकरण और संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020” (कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग अधिनियम) के प्रावधान के अनुसार कंपनी को खरीद के आदेश दिए गए हैं।

मध्य प्रदेश के होशंगाबाद जिले की पिपरिया तहसील के भौखेडी एवं अन्य गांवों के किसानों से मंडी के उच्चतम मूल्य पर धान खरीद करने के लिए जून 2020 में  फॉर्चून राइस लिमिटेड कंपनी द्वारा लिखित अनुबंध किया गया था। कंपनी द्वारा शुरू में अनुबंध के अनुसार खरीद की जाती रही किंतु धान के भाव 3000  रुपये प्रति क्विंटल होने पर नौ दिसम्बर 2020 को कंपनी के कर्मचारियो ने धान खरीद बंद कर फोन स्विच ऑफ बंद कर लिये। इसके अगले ही दिन भौखेडी के किसानों पुष्पराज पटेल एवं ब्रजेश पटेल ने एसडीएम पिपरिया से इस मामले की  शिकायत की। इस शिकायत पर जिला प्रशासन ने कृषि विभाग भोपाल से मार्गदर्शन मांगा। कृषि विभाग ने उन्हें कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग एक्ट के धारा 14  के तहत सर्वप्रथम सुलह परिषद (Conciliation Board) का गठन करने एवं यदि कंपनी नहीं मानती है तो उसके खिलाफ आदेश पारित करने की सलाह दी।  

इस प्रकरण में तत्परतापूर्वक कार्रवाई कर न्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया ने समन जारी कर फॉर्चून राइस लिमिटेड के अधिकृत प्रतिनिधि को 24 घंटे के अंदर हाजिर होकर जबाव देने का आदेश दिया। इस पर फॉर्चून राइस लिमिटेड के डायरेक्टर अजय भलोटिया ने जबाव प्रस्तुत किया। इसके बाद “कृषक (सशक्तिकरण एवं संरक्षण) अनुबंध मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम 2020” की धारा 14(2)(a) के तहत सुलह परिषद का गठन किया।

सुलह परिषद में तहसीलदार पिपरिया एवं किसान प्रतिनिधि को शामिल किया गया। सुलह परिषद के समक्ष कंपनी ने नौ दिसंबर के पहले अनुबंध अनुसार उच्चतम दर पर धान क्रय करना स्वीकार किया एवं बाजार मूल्य बढ़ जाने पर अनुबंध के अनुसार खरीद नहीं करने की बात मान ली। सुलह परिषद के समक्ष हुई सहमति के आधार पर फॉर्चून कंपनी ने अनुबंधित किसानों से 2950+50 रुपये बोनस (कुल 3000 रुपये) प्रति क्विंटल की दर से धान खरीदने पर सहमति दी। इस पर न्यायालय अनुविभागीय दंडाधिकारी पिपरिया द्वारा आदेश पारित किया गया।

अधिकारियों का कहना है कि इस प्रकार नए कृषक कानून के माध्यम से शिकायत प्राप्त होने के 24 घंटे के अंदर किसानों को अनुबंध अनुसार उच्चतम कीमत दिलाई जा सकी। इस फैसले से अनुबंध के अनुसार किसान अपनी उपज कंपनी को बेच पाएंगे। उनके हितों के साथ किसी तरह का समझौता नहीं होगा।

gajendra tripathi

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