रुद्रपुर (उत्तराखंड)। फर्जी वसीयत बनाकर 35 एकड़ जमीन को अपने नाम करवाने के मामले में उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश सिंह समेत नौ आरोपितों को सिविल जज सीनियर डिवीजन ने मंगलवार को दोषी करार देते हुए करते हुए सजा सुनाई। प्रेम प्रकाश को 15 साल की सजा होने पर जेल जाना पड़ेगा जबकि अन्य आरोपितों को अंतरिम जमानत पर छोड़ दिया जाएगा। अदालत ने इस मामले में प्रेम प्रकाश सिंह, उनकी पत्नी गीता, पुत्र शिववर्धन, पुत्रवधू निधि सिंह तथा पूर्व शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र बहादुर सिंह, उनकी पत्नी गीता सिंह, पुत्रवधू शिखा सिंह और वसीयत के गवाह नवनाथ तिवारी और प्रेम नारायण सिंह को दोषी पाया।
दरअसल, आजाद हिंद फौज के सिपाही रामअवध सिंह आजादी के बाद पुलिस में भर्ती हुए और पुलिस उपाधीक्षत (डीएसपी के पद से सेवानिवृत्त हुए थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कृषि कार्य के लिए ऊधमसिंह नगर (तत्कालीन नैनीताल) जिले के रुद्रपुर के बागवाला गांव में 50 एकड़ भूमि आवंटित की थी। रामअवध की एकमात्र संतान उनकी पुत्री प्रभावती देवी थीं। 10 जून 1999 को रामअवध की मृत्यु के बाद प्रभावती ही चल-अचल संपत्ति की उत्तराधिकारी थीं। लिहाजा यह भूमि विरासतन चकबंदी न्यायालय की प्रक्रिया के अधीन उनके नाम दर्ज हुई। प्रभावती की शादी आजमगढ़ की बूढ़नपुर तहसील के सिहौरा गांव में हुई थी। इसलिए वह यहां नहीं आ सकी। ऐसे में फर्जी वसीयतनामा तैयार कर उक्त जमीन को उत्तर प्रदेश सरकार के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश सिंह ने अपने नाम करा लिया।
Publish Date:Tue, 03 Mar 2020 05:33 PM (IST)
गोरखपुर, जेएनएन। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम अवध सिंह की 32 एकड़ जमीन कब्जा करने के मामले में कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के पूर्व मंत्री प्रेम प्रकाश सिंह, उनकी पत्नी, बेटे और बहू समेत नौ लोगों को दोषी ठहराया है। सभी को पांच साल की सजा भी सुनाई गई है। प्रेम प्रकाश सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले की बरहज विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक रहे हैं और मंत्री भी रहे हैं। उनकी पत्नी उत्तराखंड में ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज क्षेत्र की ब्लाक प्रमुख रही हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम अवध सिंह मूल रूप से आजमगढ़ के पूना पार के रहने वाले थे। उनके निधन के बाद से मामले की पैरवी उनकी पुत्री प्रभावती सिंह कर रही थीं। प्रभावती आजमगढ़ के बूढ़नपुर क्षेत्र के सिंघोड़ा गांव की रहने वाली हैं।
आजाद हिंद फौज के सिपाही थे रामअवध सिंह
आजाद हिंद फौज के सिपाही रामअवध सिंह मूल रूप से आजमगढ़ के पूनापार के रहने वाले थे। आजादी के बाद पुलिस में भर्ती हुए। डिप्टी एसपी के पद से रिटायर हुए थे। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को देखते हुए तत्कालीन उत्तर प्रदेश सरकार ने उन्हें कृषि कार्य के लिए ऊधमसिंह नगर जिले के रुद्रपुर के बागवाला गांव में 32 एकड़ जमीन आवंटित की।
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निधन के बाद जमीन पर पड़ी पूर्व मंत्री की नजर
10 जून 1999 को रामअवध की मृत्यु के बाद जमीन उनकी इकलौती पुत्री प्रभावती देवी के नाम दर्ज हो गई। उनकी शादी आजमगढ़ की तहसील बूढऩपुर क्षेत्र के सिंघोड़ा गांव में होने से वह यहां नहीं रहती हैं। ऐसे में फर्जी वसीयत तैयार कर पूर्व मंत्री ने जमीन अपने नाम करा ली।
इस फर्जीवाड़ें की जानकारी होने पर प्रभावती ने कई जगह शिकायती पत्र दिए लेकिन प्रम प्रकाश सिंह की हनक के चलते कहीं भी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद पूरा मामला डीआईजी के पास पहुंचा। तीन मई 2014 को डीआईजी के आदेश पर प्रभावती की ओर से आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 471, 506, 504 में मुकदमा दर्ज किया गया। यह मुकदमा प्रेम प्रकाश समेत कुल नौ लोगों के खिलाफ दर्ज किया गया। 17 जून 2016 को इस मुकदमे की चार्जशीट पुलिस ने कोर्ट में दाखिल की थी। तब से यह मामला अदालत में चल रहा था। पीड़ित परिवार के अधिवक्ताओं ने 20 गवाहों को अदालत में पेश किया।
प्रभावती के वकील सिद्धार्थ श्रीवास्तव ने बताया कि मामला सिविल जज सीनियर डिवीजन छवि बंसल की अदालत में चल रहा था। मंगलवार को आरोपितों को दोष सिद्ध करार दिया गया। प्रेम प्रकाश सिंह को धारा 120 बी में दो साल, 420 में पांच साल, 471 में पांच साल, 504 में एक साल, 506 में पांच साल की सजा सुनाई गई। इसी तरह गवाह नवनाथ तिवारी, प्रेम नारायण सिंह को दो तीन साल, पुत्र शिव वर्धन को तीन साल, बहू निधि, पत्नी मंजूलता, शासकीय अधिवक्ता स्वतंत्र सिंह को दो साल, पत्नी गीता सिंह व बहू शिखा को एक साल की सजा सुनाई गई। कोर्ट के आदेश पर प्रेम प्रकाश को जेल भेजा जाएगा। अन्य आरोपितों को अंतरिम जमानत मिल जाएगी।
प्रेम प्रकाश सिंह उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले के बरहज विधानसभा क्षेत्र से दो बार विधायक और मंत्री रहे हैं। उनकी पत्नी उत्तराखंड में ऊधमसिंह नगर जिले के सितारगंज क्षेत्र की ब्लाक प्रमुख रही हैं। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी राम अवध सिंह मूल रूप से आजमगढ़ के पूना पार के रहने वाले थे। उनके निधन के बाद से मामले की पैरवी उनकी पुत्री प्रभावती सिंह कर रही थीं।
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