नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने आज रविवार को यहां केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के मुख्यालय का शिलान्यास किया। इस अवसर पर उन्होंने कहा, “आप देश की सुरक्षा कीजिए, आपके परिवार की चिंता और सुरक्षा हम करेंगे। …हमने तय किया है जवानों के साथ-साथ उनके मां-बाप, पत्नी और बच्चों को भी स्वास्थ्य परीक्षण की सुविधा दी जाए। हर जवान को ऐसा स्वास्थ्य कार्ड देने की योजना पर काम चल रहा है। गृह मंत्रालय एम्स के साथ मिलकर इस पर काम कर रहा है।”
शाह ने कहा कि गृहमंत्री बनने के बाद वह सीआरपीएफ को करीबी से देख रहे हैं। सीआरपीएफ दुनिया का सबसे बड़ा सशस्त्र बल तो है ही, साथ ही दुनिया का सबसे बहादुर सशस्त्र बल भी है। इसके इतिहास को खंगाले तो इसकी कई गाथाएं बताई जा सकती हैं
गृह मंत्री ने कहा कि 80 से 90 का दशक देश में कई प्रकार की विपदाएं लेकर आया। त्रिपुरा हो या पंजाब, हमारे देश के लोगों को ही गुमराह करके पड़ोसी देश ने आतंकवाद को हमारे देश में फ़ैलाने का काम किया। उन्हें यह कहने में कोई झिझक नहीं है कि आज इन दोनों राज्यों से आतंकवाद का पूर्ण रूप से सफाया किया जा चुका है। इसमें सीआरपीएफ का अहम् योगदान है। रक्त को जमा देनी वाली ठंड में, अनिश्चितताओं के बीच जब हमारे जवान आतंकवाद का सामना कर रहे होते हैं तो उन्हें कोई पदक का लालच या ड्यूटी की मजबूरी, ऐसा करने के लिए विवश नहीं करती। सिर्फ भारत माता के प्रति प्रेम और समर्पण का भाव उन्हें इसके लिए प्रेरित करता है।
शाह ने कहा कि सरकार ने तय किया है हर सशस्त्र बल का हर जवान साल में 100 दिन अपने परिवार के साथ बिता सके, ताकि वह सामाजिक जिम्मेदारियों का भी निर्वहन कर सके। इसके लिए हम रणनीति बना रहा हैं। सीआरपीएफ जवानों को ड्यूटी के दौरान हवाई यात्रा की जो अनुमति दी गई है, उससे उनका मनोबल जरूर बढ़ा है।
2184 जवान दे चुके हैं सर्वोच्च बलिदान
ढेर सारे अभियानों और ढेर सारी मुहिमों में सीआरपीएफ के 2184 जवानों ने अपना सर्वोच्च बलिदान देश की और सम्मान के लिए दिया है। 21 अक्टूबर 1959 को सीआरपीएफ के सिर्फ 10 जांबाजों ने ऑटोमेटिक हथियारों से लैस चीन की टुकड़ी का सामना किया और अपनी आहुति दी। इसी की स्मृति में 21 अक्तूबर को पुलिस स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाता है।