युग नायक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा जिनके दिल में बसे थे गांव, गरीब और किसान ऐसे नेता चौधरी चरण सिंह जी की आज पुण्यतिथि है। किसानों की आवाज़ चौधरी चरण सिंह जी मुख्यमंत्री रहते हुए इतने सक्रिय थे कि रात हो या दिन वो कभी भी भेष बदलकर जाँच के लिए निकल जाया करते थे ।इस बात की जानकारी किसी को भी नही होती थी । एक समय था जब उत्तर प्रदेश में अधिकारियों के बीच एक डर हुआ करता था कि कहीं मुख्यमंत्री चौधरी चरण सिंह जाँच के दौरान न पकड़ लें ।
मुख्यमंत्री के बाद चरण सिंह देश के प्रधानमंत्री भी बने । किसानों के हितों को ध्यान में रखते हुए उन्होंने कई ऐतिहासिक फैसले और क्रांतिकारी बदलाव किये ।
1928 में किसान के मुकदमों के फैसले करवाकर उनको आपस में लड़ने के बजाय आपसी बातचीत द्वारा सुलझाने की कोशिश शुरू की ।
1939 में कर्जा माफी विधेयक पास करवाकर किसानों के खेतों की नीलामी रुकवाई ।
1939 में ही किसान के बच्चों को सरकारी नौकरियों में 50 फीसदी आरक्षण दिलाने की कोशिश की, पर इसमें सफलता नहीं मिल पाई ।
1939 में किसानों को टैक्स बढ़ाने और बेदखली से मुक्ति दिलाने के लिए जमीन उपयोग का बिल तैयार किया।
उन्होंने 1979 में वित्त मंत्री और उपप्रधानमंत्री के रूप में राष्ट्रीय कृषि व ग्रामीण विकास बैंक [नाबार्ड] की स्थापना की । जिसके लिए उन्हें आज भी याद किया जाता है ।
चौ.चरण सिंह को भारत में किसानों की आवाज बुलन्द करने वाले नेता के तौर पर देखा जाता है। चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री रहे जिन्होंने संसद का एक बार भी सामना किए बिना ही त्यागपत्र दे दिया।
चरण सिंह ऐसे प्रधानमंत्री बने जिसे कभी संसद में बोलने का मौका नहीं मिला
१९७७ में चुनाव हुए लोकसभा के।इंदिरा हारीं बुरी तरह, और देश में पहली बार गैर-कांग्रेसी पार्टियों ने मिलकर सरकार बनाई। उस वक्त ये सोचना असंभव लगता था।जनता पार्टी की सरकार बनी।मोरार जी देसाई प्रधानमंत्री बने।चरण सिंह इस सरकार में उप-प्रधानमंत्री और गृहमंत्री रहे।
पर जनता पार्टी में कलह हो गई। ढेर जोगी मठ के उजाड़। मोरार जी की सरकार गिर गई।बाद में कांग्रेस के ही सपोर्ट से चरण सिंह प्रधानमंत्री बने। 28 जुलाई 1979 को. 20 अगस्त तक का टाइम दिया गया था बहुमत साबित करने के लिए। इंदिरा ने 19 अगस्त को समर्थन वापस ले लिया. सरकार गिर गई. संसद का बगैर एक दिन सामना किये चरण सिंह को रिजाइन करना पड़ा। कहते हैं किअगर इस प्रधानमंत्री ने बोला होता संसद में, तो किसानों की कहानी कुछ और होती।
प्रधानमंत्री रहते हुए चरण सिंह कोई फैसला नहीं ले पाये थे। पर वित्त मंत्री रहते हुए खाद और डीजल के दामों को कंट्रोल किया। खेती की मशीनों पर टैक्स कम किया।नाबार्ड की स्थापना उसी वक्त हुई थी।
किसान नेता कहने से चरण सिंह की छवि माडर्न नेताओं की सी नहीं बनती। पर चरण सिंह को अंग्रेजी बखूबी आती थी।उन्होंने ‘अबॉलिशन ऑफ़ ज़मींदारी’और ‘इंडियाज पॉवर्टी एण्ड इट्स सोल्यूशंस’ किताबें भी लिखीं।29 मई 1987 को चरण सिंह का निधन हो गया।
आज युग नायक भारत के पूर्व प्रधानमंत्री और किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह जी की पुण्यतिथि पर उन्हें शत् शत् नमन्।
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