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नई दिल्ली। आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट ने अवमानना के एक मामले में पांच आईएएस अधिकारियों को जेल की सजा सुनाई है। इन पांच अधिकारियों में से दो को चार सप्ताह से एक महीने तक की जेल और तीन अन्य को दो सप्ताह की जेल की सजा दी गई है। अदालत ने नेल्लोर जिले के वेंकटचलम मंडल के कनुपुर गांव में रहने वाली एक महिला के मामले की सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया है।

आंध्र प्रदेश सरकार ने नेल्लोर जिले की तल्लापाका गांव निवासी साईं ब्रह्मा नामक एक महिला की जमीन का वर्ष 2015 में अधिग्रहण किया था। महिला को इसके बदले मुआवजा नहीं मिला। हाईकोर्ट ने अपने पहले आदेश में तीन महीने के भीतर रुपये देने के निर्देश दिए थे। तीन महीने की जगह छह  साल बीत जाने के बाद भी महिला को उसका मुआवजा नहीं मिला जिसके बाद यह अवमानना का केस फाइल किया गया। इसी मामले की सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने 5 आईएएस अधिकारियों को सजा सुनाई है। 

राजस्व के तत्कालीन प्रधान सचिव, वरिष्ठ आईएएस अधिकारी मनमोहन सिंह को चार सप्ताह जेल और 1,000 के जुर्माने की सजा सुनाई गई, वित्त के प्रमुख सचिव एसएस रावत को एक महीने जेल और 2,000 जुर्माना की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने कहा कि जुर्माने का भुगतान नहीं करने पर जेल की सजा एक और सप्ताह बढ़ जाएगी।

नेल्लोर के जिला कलेक्टर रेवु मुत्याला राजू को 1,000 के जुर्माने के साथ दो सप्ताह की जेल की सजा सुनाई गई है, जबकि केएनवी चक्रधर और एमवी शेषगिरी बाबू, जो पहले नेल्लोर के जिला कलेक्टर के रूप में काम कर चुके हैं, प्रत्येक पर 2,000 रुपये का जुर्माना लगाया गया है। 

न्यायमूर्ति बट्टू देवानंद ने कहा कि अधिकारियों की लापरवाही और अवज्ञा के कारण वृद्धा को काफी नुकसान हुआ। यह देखते हुए कि यह अदालत की अवमानना ​​के लिए एक उपयुक्त मामला है, उन्होंने अधिकारियों द्वारा दी गई बिना शर्त माफी को खारिज कर दिया। अदालत ने राज्य सरकार को याचिकाकर्ता को लागत के रूप में एक लाख रुपये का भुगतान करने का भी निर्देश दिया। हालांकि, न्यायमूर्ति देवानंद ने अधिकारियों के अनुरोध के बाद चार सप्ताह के लिए सजा के संचालन को निलंबित कर दिया।

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