नई दिल्ली। वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करने की आदत जिंदगी पर भारी पड़ रही है। फोर्ड कारटेसी (Ford Cartesy) द्वारा कराए गए एक सर्व में 97 प्रतिशत लोगों ने कहा कि वे सोचते हैं कि मोबाइल फोन का इस्तेमाल करने के कारण ड्राइविंग करते हुए ध्यान भंग होता है जो दुर्घटना की वजह बन सकता है।
सर्वे से पता चलता है कि लोगों में यातायात नियमों को लेकर जागरूकता की बहुत ही कमी है। केवल 6 प्रतिशत वाहन को चलाने वाले लोग ड्राइविंग लाइसेंस परीक्षण के दौरान होने वाले प्रश्नों का सही से जवाब दे पाते हैं, यानि कुल 6 प्रतिशत जनसंख्या ने इस टेस्ट में 50 प्रतिशत से अधिक अंक प्राप्त किए हैं।
इस सर्वे में छह मेट्रो शहरों दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता, चेन्नई और हैदराबाद में 2020 की दूसरी छमाही में कुल 1,561 लोगों से बात की गई। इसमें यह भी पाया कि कोलकाता और चेन्नई में ज्यादा नियमों का पालन करने वाले लोग हैं। मतलब इन लोगों को सड़क पर चलते हुए नियमों की समझ अन्य शहरों के लोगों के मुकाबले ज्यादा है।
इस सर्वे में दिलचस्प बात यह रही कि 58 प्रतिशत वाहन मालिकों ने इस बात को स्वीकारा की वे वाहन चलाते समय मोबाइल फोन पर बात करते हैं। वहीं 97 प्रतिशत लोग सोचते हैं कि मोबाइल फोन के उपयोग के कारण ड्राइविंग करते हुए ध्यान भंग होता है। सर्वेक्षण के निष्कर्ष में कहा गया है कि मोबाइल फोन एक ऐसी चीज हैं जिसकी बैल पर लोग खुद को नहीं रोक पाते हैं। सर्वेक्षण में कहा गया है कि 3 में से 1 उत्तरदाता को लगता है कि उनके शहर में यातायात की स्थिति बेहद खराब है। 81 प्रतिशत लोगों का मानना है कि एग्रेसिव ड्राइविंग देश में दुर्घटनाओं का सबसे बड़ा कारण हैं।
सर्वे में 63 प्रतिशत लोगों ने अपने बच्चों को आगे की पंक्ति में बैठने के लिए ठीक पाया तो 58 प्रतिशत ने ड्राइविंग करते हुए नींद आने की बात भी मानी। वहीं जब सबसे आदर्श सड़क उपयोगकर्ताओं वाले शहरों की बात आती है तो कोलकाता और चेन्नई छह मेट्रो शहरों में सबसे ऊपर हैं और दोनों शहरों ने यातायात नियमों का पालन करने में हर तरीके से शीर्ष स्थान प्राप्त किया है।
इस सर्वे के दौरान लोगा में ट्रैफिक नियमों के बारे में ज्ञान की कमी एक तिहाई से भी कम पाई गई। यातायात से जुड़े 31 सवालों का सही जवाब कुल 50 प्रतिशत लोग ही दे पाए। हालांकि 10 वाहन मालिकों में से केवल एक ने दुर्घटनाओं के लिए यातायात नियमों की कमी को जिम्मेदार ठहराया।
सर्वे में कहा गया है कि 53 प्रतिशत ड्राइवरों ने स्वीकार किया कि वे हमेशा एम्बुलेंस या फायर ट्रक जैसे आपातकालीन वाहनों के लिए रास्ता नहीं बनाते हैं जबकि 57 प्रतिशत लोग खाने के सामान, खाली रैपर और फलों के छिलकों को बाहर फेंक देते हैं।
इन निष्कर्षों पर टिप्पणी करते हुए फोर्ड इंडिया के मार्केटिंग एंड सेल्स हेड विनय रैना ने कहा, “अपने तीसरे वर्ष में फोर्ड कार्टसी सर्वेक्षण में हमनें इस बात पर प्रकाश डाला है कि किस तरह से लोगों में माइंडफुलनेस का प्रदर्शन किया गया है, और हर एक नागरिक सड़कों को सुरक्षित बनाने के लिए मदद कर सकता है।”
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