कलाम के पार्थिव शरीर को यहां पेईकारूंबू में करीब 1.5 एकड़ में फैले जमीन के टुकड़े के मध्य में दफनाया गया। इससे पहले उनके पार्थिव शरीर को मस्जिद में लाया गया जहां ‘नमाज़ ए जनाज़ा’ पढ़ी गई। ‘जनता के राष्ट्रपति’ को पूरा सैन्य सम्मान प्रदान किया गया जिसमें बंदूक से गोलियां चलाकर सलामी देना शामिल है।
पूर्व राष्ट्रपति के परिवार के सदस्यों और स्थानीय जमात ने जैसे ही उनके पार्थिव शरीर को कब्र में रखा, चारों ओर ‘भारत माता की जय’ का घोष गूंज उठा। ‘मिसाइल मैन’ के रूप में विख्यात डा. कलाम के अंतिम संस्कार में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी समेत विभिन्न दलों के नेता शामिल हुए। तिरंगे में लिपटे डा. कलाम के पार्थिव शरीर के समक्ष प्रधानमंत्री ने पुष्पांजलि अर्पित की और कुछ देर मौन खडे रहकर उन्हें अंतिम सलाम किया। उन्होंने हाथ जोड़कर ताबूत के चारों और चक्कर लगाया।
प्रधानमंत्री इसके बाद में कलाम के बड़े भाई 99 वर्षीय मोहम्मद मिरन लेब्बई माराइकर के पास गए और संवेदना प्रकट की। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने भी डा. कलाम को अंदिम विदाई दी। पूर्व राष्ट्रपति का निधन 27 जुलाई को आईआईएम शिलांग में व्याख्यान देते समय दिल का दौरा पड़ने से हुआ। पूर्व राष्ट्रपति को अंतिम विदाई देने वालों में तमिलनाडु के राज्यपाल के रोसैया, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर, उनके मंत्रिमंडलीय सहयोगी एम वेंकैया नायडू और तमिलनाडु के वित्त मंत्री ओ पनीरसेल्वम समेत अन्य नेता शामिल हैं।
कांग्रेस नेता गुलाम नबी आजाद के अलावा कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धरमैया, केरल के मुख्यमंत्री ओमन चांडी और आंध्रप्रदेश के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने भी डा. कलाम को श्रद्धांजलि अर्पित की। सेना के तीनों अंगों के प्रमुखों ने भी अपने पूर्व सुप्रीम कमांडर के प्रति सम्मान प्रकट किया और उन्हें अंतिम विदाई दी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, कई राज्यों के मुख्यमंत्री और कई अन्य पदाधिकारी ‘नमाज-ए-जनाजा’ के बाद सुबह 11 बजे डा. कलाम के अंतिम संस्कार के दौरान मौजूद रहे। गौर हो कि पूर्व राष्ट्रपति का सोमवार को शिलांग में एक व्याख्यान देने के दौरान दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया था। कलाम का जन्म रामेश्वरम में हुआ था और उनका बचपन इसी द्वीप पर बीता।
इससे पहले 83 वर्षीय वैज्ञानिक का पार्थिव शरीर यहां आने पर उन्हें आखिरी विदाई देने के लिए बड़ी संख्या में लोग उमड़ पड़े। अधिकतर लोगों की आंखें नम थीं। अपनी सादगी और सदाशयता के लिए विख्यात डा. कलाम के प्रति सम्मान प्रकट करते हुए देश विदेश से काफी संख्या में लोगों ने शोक प्रकट किया। पूर्व राष्ट्रपति के अंतिम संस्कार में शामिल होने के लिए बड़ी संख्या में गणमान्य लोगों की उपस्थिति को देखते हुए नौसेना, तटरक्षक और मरीन पुलिस कर्मियों को नगर के आसपास समुद्री क्षेत्र में तैनात किया गया। काफी संख्या में शोकाकुल लोग अंतिम संस्कार के स्थल के आसपास घरों की छतों और पेड़ पर चढ़कर अपने दिवंगत नेता की एक झलक देखने को आतुर थे। डा. कलाम में अपनी स्कूली शिक्षा यहीं से पूरी की थी।
नगर निगम अधिकारियों ने अंतिम संस्कार वाले स्थल तक आवागमन और वीआईपी आवाजाही के लिए विशेष सम्पर्क सड़क का निर्माण किया। तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता स्वास्थ्य कारणों से अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो सकीं। मोदी विशेष हेलीकाप्टर से मंडपम आए और वहां से कड़ी सुरक्षा में बुलेटप्रूफ कार में रामेश्वरम पहुंचे। इससे पहले, अंतिम संस्कार के तहत इमाम ने ‘नमाज़ ए जनाज़ा’ पढ़ाई। तमिलनाडु सरकार का प्रतिनिधित्व पनीरसेल्वम समेत अन्य वरिष्ठ मंत्रियों ने किया। तमिलनाडु सरकार ने आज सार्वजनिक छुट्टी की घोषणा की है।
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