देहरादून। उत्तराखंड के चर्चित शिक्षक भर्ती घोटाले की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने पौड़ी जिले के तकरीबन 1000 शिक्षकों के मूल शैक्षणिक प्रमाण-पत्रों को कब्जे में ले लिया है। एसआईटी अब इन प्रमाण-पत्रों की सत्यता की जांच करने के साथ फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नौकरी पाने वाले अन्य शिक्षकों पर भी शिकंजा कसेगी।
उत्तराखंड में शिक्षक भर्ती में हुए घोटाले की जांच में जुटी एसआईटी फर्जीवाड़ा करने वालों के खिलाफ दस्तावेजी साक्ष्य जुटाने में लगी है। इसी क्रम में एसआईटी ने पौड़ी के 1000 शिक्षकों के दस्तावेज कब्जे में लेकर पड़ताल शुरू कर दी है।
दरअसल, प्रदेश के शासकीय और अशासकीय स्कूलों में बड़ी संख्या में ऐसे अभ्यर्थी शिक्षक की नौकरी पाने में कामयाब रहे, जिनके शैक्षिक प्रमाण-पत्र या तो पूरी तरह फर्जी थे, या सूबे में उनकी मान्यता ही नहीं थी। मामला प्रकाश में आने पर विभागीय स्तर से हुई जांच के पहले चरण में ऐसे 41 शिक्षक पकड़े गये थे। तभी से यह आशंका जतायी जा रही थी कि फर्जी या अमान्य प्रमाण-पत्रों पर नौकरी पाने वाले शिक्षकों की संख्या 5000 के करीब हो सकती है।
एसआईटी ऐसे ही शिक्षकों के प्रमाण-पत्रों को कब्जे में लेने की कार्रवाई कर रही है। सूत्रों की मानें तो अकेले पौड़ी जिले में ही 1000 शिक्षकों के शैक्षिक प्रमाण-पत्रों को कब्जे में ले लिया गया है। एसआईटी अब इन प्रमाण-पत्रों की वास्तविकता व सत्यता की बारीकी से जांच करेगी।
गैर-राज्यों के हैं अधिकांश प्रमाण-पत्र
अभी तक की जांच में सामने आया है कि आरोपी शिक्षकों ने उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान और बिहार आदि राज्यों से बनवाये गये फर्जी प्रमाण-पत्रों पर नौकरी हासिल कर ली थी। इनमें कई ऐसे भी हैं, जो मानकों के विपरीत भारतीय शिक्षा परिषद लखनऊ, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, महिला ग्राम विद्यापीठ, प्रयाग (उप्र) जैसे शिक्षण संस्थानों की डिग्री पर नौकरी कर रहे थे।
एसआईटी प्रभारी, एएसपी सीबीसीआईडी श्वेता चौबे ने बताया कि पौड़ी जिले से कब्जे में लिये गये प्रमाण-पत्रों का सत्यापन कराया जाएगा। सत्यापन में सम्बन्धित बोर्ड या संस्थान से प्राप्त होने वाली रिपोर्ट के आधार पर आगे कदम उठाये जाएंगे।