नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आगामी 5 अगस्त को गणमान्य लोगों की उपस्थिति में अयोध्या में भगवान राम के भव्य मंदिर का भूमिपूजन करने वाले हैं। इस अवसर को प्रकाश पर्व यानी दीपावली की तर्ज पर मनाए जाने की तैयारी चल रही है। दिवाली के मौके पर देश भर के मंदिरों और घरों में दीये और मोमबत्तियां जलाई जाती हैं।
राम मंदिर के निर्माण के लिए भूमि पूजन या भूमि पूजन समारोह को वर्षों की प्रतीक्षा के बाद “भगवान राम की जन्मभूमि पर उनकी सही वापसी” कह सकते हैं। राम मंदिर के निर्माण से पहले और भूमि पूजन के दौरान, अयोध्या में हर मंदिर और घर को दीया और मोमबत्तियों से रोशन करने की योजना है। ठीक वैसे ही जैसा कि माना जाता है कि त्रेतायुग में भगवान राम 14 साल का वनवास काटकर अयोध्या लौटेने पर अयोध्या में दीये जलाए गए थे।
सूत्रों के मुताबिक सिर्फ अयोध्या ही नहीं, बल्कि सभी से अपील की जाएगी कि वे इस विशेष अवसर को चिह्नित करने के लिए शारीरिक दूरी की सावधानियों को सुनिश्चित करते हुए अपने घर, आसपास के घरों और धार्मिक स्थलों जैसे मंदिरों को रोशन करें। सूत्रों ने यह भी कहा है कि कोरोना वायरस की वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए लगभग 200 निमंत्रण भेजे जा रहे हैं।
विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के महासचिव मिलिंद परांडे ने कहा कि इस आयोजन में लाखों-करोड़ों लोग भाग लेते लेकिन कोरोना काल में यह संभव नहीं है। परांडे ने कहा कि मंदिरों और घरों सहित पूरे अयोध्या को फूलों और दीयों और रोशनी से सजाया जाएगा। यह सभी हिंदुओं के जीवन में एक ऐतिहासिक पल है। राम मंदिर निर्माण एक लंबी लड़ाई के बाद शुरू हो रहा है। हर घर में दीया जलाना होगा। भूमिपूजन के दिन पुजारियों और संतों को संबंधित मंदिरों में सुबह 10:30 बजे से पूजा शुरू कर देनी है। विहिप ने लोगों से अपील की है कि वे अपने-अपने टीवी स्क्रीन पर भूमिपूजन समारोह देखें और शाम के समय अपने घरों में दीए जलाने की व्यवस्था करें।
उन लोगों के अनुसार, जिन्होंने भगवान राम के जन्मस्थान में रामलला को उनकी महिमा के साथ पुनर्स्थापित करने के लिए लड़ाई का नेतृत्व किया, यह लड़ाई सालों की नहीं दशकों की है। भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने रथयात्रा का नेतृत्व किया जिसमें लाखों कारसेवकों ने राम मंदिर के लिए भूमि का दावा करने के लिए भाग लिया था।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 9 नवंबर को केंद्र सरकार को राम मंदिर निर्माण के लिए अयोध्या में स्थल सौंपने का निर्देश दिया था। प्रधानमंत्री ने इसी साल 5 फरवरी को अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए एक ट्रस्ट के गठन की घोषणा की थी। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण की देखरेख के लिए केंद्र सरकार द्वारा 15 सदस्यीय राम जन्मभूमि तीर्थक्षेत्र ट्रस्ट का गठन किया गया है।
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