केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले EPFO की ब्याज दर बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। ऐसा होने पर संगठित क्षेत्र में काम करने वाले लगभग छह करोड़ कर्मचारी-कामगारों को इसका सीधा फायदा होगा।
नई दिल्ली। हाल ही में कई सरकारी सेवाओ में सातवें वेतनमान के प्रावधान लागू कर वाहवाही लूट चुकी केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार लोकसभा चुनाव से पहले नौकरीपेशा लोगों को खुश करने के लिए एक और बड़ा ऐलान कर सकती है। इस बार उसके निशाने पर हैं संगठित निजी क्षेत्र में काम करने वाले कर्मचारी-कामगार। सूत्रों के अनुसार मोदी सरकार फरवरी में कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) की ब्याज दर बढ़ाने का ऐलान कर सकती है। गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव अप्रैल-मई में प्रस्तावित हैं।
अभी तक जो सूचना है, उसके अनुसार केंद्र सरकार कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) में निवेश की गई धनराशि पर मिलने वाले 8.55 प्रतिशत ब्याज में वृद्धि कर सकती है। हाल ही में हुए ईपीएफओ के सालाना इंटरनल रिव्यू में भी ब्याज दर को बढ़ाने पर चर्चा हुई थी। इसके बाद यह लगभग तय हो गया है कि ईपीएफओ की ब्याज दरों में इजाफा किया जाएगा। गौरतलब है कि पिछले दिनों भी अधिकारियों ने इस बात की संभावना जताई थी कि ईपीएफ की ब्याज दर में बढ़ोतरी की जाएगी।
ईपीएफओ ऐसा सॉफ्टवेयर बनवा रहा है जो पीएफ खाते में नकदी वाले और इटीएफ वाले हिस्से को अलग-अलग दिखाएगा। यदि खाते में नकद और इटीएफ निवेश अलग-अलग दिखने लगेंगे तो ईपीएफओ का अगला बड़ा कदम अंशधारकों को शेयर में निवेश बढ़ाने या घटाने का विकल्प देने का होगा। ईपीएफओ के शीर्ष निकाय सेंट्रल बोर्ड ऑफ ट्रस्टीज (CBT) ने साल की शुरुआत में संगठन से अंशधारकों को शेयरों में निवेश घटाने-बढ़ाने का विकल्प मुहैया कराने की संभावना तलाशने को कहा था।
गौरतलब है कि पिछले दो वर्षो से भविष्य निधि ब्याज दर घट रही है। सन् 2018 में पीपीएफ और एनएससी से मिलने वाले औसत रिटर्न की अगर बात करें तो यह लगभग 7.7 प्रतिशत रहा है। ईपीएफ में जमा धनराशि पर 8.55 प्रतिशत ब्याज दिया गया।