मुंबई। महाराष्ट्र के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और उद्धव ठाकरे सरकार के बीच चली आ रही तनतानी में गुरुवार को खटास और बढ़ गई। राज्य सरकार ने मुंबई से देहरादून जाने के लिए राज्यपाल कोश्यारी को सरकारी विमान देने से मना कर दिया। राज्य के उप मुख्यमंत्री अजित पवार ने इस बारे में जानकारी न होने की बात कही, तो वहीं भाजपा नेताओं ने राज्य सरकार की आलोचना की है। मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर पूरे प्रकरण में राजभवन के अधिकारियों की गलती बताई है।
सूत्रों के मुताबिक, राज्यपाल के सचिव ने विमान की मंजूरी के लिए मुख्यमंत्री के दोनों सचिवों को फोन किया। इतना ही नहीं राज्यपाल के सचिव ने शिवसेना के सचिव मिलिंद नार्वेकर को भी फोन किया लेकिन सभी की तरफ से कहा गया कि इस मामले में सीधे मुख्यमंत्री से बात करनी होगी।
राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को मसूरी स्थित आईएएस एकेडमी में होने वाले कार्यक्रम में भाग लेने के लिए जाना था। प्रोटोकॉल के तहत इसके लिए उन्हें सरकारी जहाज से जाना था लेकिन मुख्यमंत्री की तरफ से इजाजत न मिलने के कारण उनको विमान में बैठने के बाद भी नीचे उतरना पड़ा। इसके बाद उन्होंने स्पाइसजेट की 12:30 बजे की फ्लाइट में सीट बुक कराई।
1. महाराष्ट्र और गोवा के राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी को शुक्रवार यानी 12 फरवरी को मसूरी स्थित लाल बहादुर शास्त्री आईएएस एकेडमी के एक कार्यक्रम में पहुंचना है।
2. इसके चलते राज्यपाल गुरुवार यानी 11 फरवरी को 10 बजे मुंबई के छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचे।
3. मसूरी दौरे को देखते हुए राज्यपाल सचिवालय ने 2 फरवरी को ही महाराष्ट्र सरकार को पत्र लिखकर सरकारी विमान के इस्तेमाल की अनुमति मांगी थी। इस बारे में मुख्यमंत्री को भी सूचना दी गई थी।
4. गुरुवार को राज्यपाल तय समय पर हवाईअड्डे पहुंचे और विमान में बैठ गए। तभी राज्यपाल को बताया गया कि सरकारी विमान के इस्तेमाल की इजाजत नहीं मिली।
5. इसके बाद राज्यपाल कोश्यारी के निर्देश पर उनके लिए कमर्शियल एयरक्राफ्ट में टिकट बुक की गई। दोपहर 12.15 बजे वे मुंबई से देहरादून के लिए रवाना हुए।
इस मामले के तूल पकड़ने के बाद, मुख्यमंत्री कार्यालय ने बयान जारी कर कहा कि राजभवन सचिवालय को राज्यपाल के दौरे से पहले विमान के इस्तेमाल की अनुमति मिली है या नहीं, इसकी जांच-पड़ताल करनी चाहिए थी। मुख्यमंत्री सचिवालय से 10 फरवरी को ही राज्यपाल के सचिवालय को विमान का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं मिलने की सूचना दी गई थी। इसके बावजूद राज्यपाल को सरकारी विमानों के उड़ान भरने की जगह पर ले जाया गया। मुख्यमंत्री सचिवालय ने पूरे घटनाक्रम पर गहरी नाराजगी जताई है। साथ ही, लापरवाही बरतने वाले राजभवन के अधिकारियों की जवाबदेही तय कर उन पर कार्रवाई करने की मांग की है।
राज्य सरकार के इस कदम से भाजपा नेताओं में नाराजगी है। पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कहा है कि राज्यपाल महोदय के साथ घटी यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है। यह महाराष्ट्र के इतिहास में काला अध्याय है। वह कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि महाराष्ट्र के राज्यपाल हैं। महाविकास अघाड़ी सरकार अहंकार वाली सरकार है। सरकार को आखिर इतना ईगो क्यों है? सुधीर मुनगंटीवार ने कहा कि राज्यपाल को विमान से उतार दिया गया और आने वाले समय में लोग इन्हें (उद्धव सरकार) सत्ता से बाहर करेंगे। सरकार के लोगों को राज्यपाल से माफी मांगनी चाहिए। सरकार बदला लेने के लिए यह सब कर रही है। मैंने ऐसी प्रतिशोधी सरकार कभी नहीं देखी। राज्यपाल एक संवैधानिक पद है, उसकी गरिमा बनाए रखनी चाहिए।
राज्यसभा में शिवसेना के सांसद संजय राउत ने कहा कि 15 मिनट विमान पर बैठना पड़ा तो अपमान लगता है, लेकिन कैबिनेट से प्रस्तावित 12 एमएलसी के नामों पर आप (राज्यपाल) इतने समय से फैसला नहीं कर रहे, वह भी अपमान है।
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