बोस ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखा है कि अखंड भारत के पहले प्रधानमंत्री नेताजी ने पहली बार आजादी का झंडा 30 दिसंबर 1943 को पोर्ट ब्लेयर में फहराया था। यहीं पर नेताजी ने आजाद हिंद की पहली सरकार का गठन भी किया था। सरकार गठन के बाद उन्होंने इस द्वीप समूह का नाम शहीद और स्वराज द्वीप समूह रखा था।
11 नवंबर को लिखे इस पत्र में बोस ने लिखा है कि दिसंबर 1743 को नेताजी के साथ सर्वश्री आनंद मोहन सहाय, कैप्टन रावत- एडीसी और कर्नल डी एस राजू जो कि नेताजी के निजी डॉक्टर थे पोर्ट ब्लेयर आए थे। यहां पर मौजूद भारतीयों ने उनका जोरदार स्वागत किया था। नेताजी ने आईएनए के जनरल ए डी लौंगनाथन को यहां का पहला गवर्नर नियुक्त किया था।
अपनी चिट्ठी में सुभाष कुमार बोस लिखते हैं कि अंडमान और निकोबार निरवासन में बनी पहली सरकार के पास पहली बार जमीन यहीं आकर मिली थी। इसी दौरान आजाद हिंद सरकार ने अपनी मुद्रा, स्टैंप और सिविल कोड जारी किए थे। यहीं आकर नेताजी भारतीय भूमि पर 1943 के अंत के पहले आईएनए को खड़ा करने का अपना वादा भी पूरा किया था।
अपनी चिट्ठी में बीजेपी के बंगाल उपाध्यक्ष ने लिखा है कि ये मांग सिर्फ उनकी नहीं है बल्कि पूरे देश की है और ये मांग समय-समय पर उठती रही है।
आपको बता दें कि, फैजाबाद, इलाहाबाद और मुगलसराय का नम बदलने के बाद देश भर में नाम बदलने की मांग जोर पकड़ रही है। अभी हाल ही में शिवसेना ने भी औरंगाबाद और उस्मानाबाद के नाम बदलने की मांग की है।
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