नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने सोशल मीडिया, ओटीटी प्लेटफॉर्म (OTT Platform) और डिजिटल न्यूज के लिए गाइडलाइन गुरुवार को जारी कर दी। सरकार ने कहा कि आलोचना और सवाल उठाने की आजादी है पर सोशल मीडिया के करोड़ों यूजर्स की शिकायत निपटाने के लिए भी एक फोरम होना चाहिए। कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा, “सोशल मीडिया पर अगर कोई गलत कंटेंट डाला जाता है तो उसे 24 घंटे के भीतर हटाना होगा। यह पता होना बहुत जरूरी है कि गलत ट्वीट या कंटेंट पहली बार किसने पोस्ट किया।” वहीं सूचना और प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने ओटीटी और डिजिटल न्यूज पोर्टल्स के बारे में कहा कि उन्हें खुद को नियंत्रित करने की व्यवस्था बनानी चाहिए। जिस तरह फिल्मों के लिए सेंसर बोर्ड है, वैसी ही व्यवस्था OTT के लिए हो। इस पर दिखाया जाने वाला कंटेंट उम्र के हिसाब से होना चाहिए।
सीधे शब्दों में कहें तो फेसबुक, ट्विटर, वाट्सऐप और दूसरे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर खुराफात की शुरुआत कहां से शुरू हुई यह अब सोशल मीडिया कंपनी को बताना होगा। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर गैर कानूनी पोस्ट है तो न केवल उसे हटाना पड़ेगा बल्कि सोर्स भी बताना पडे़गा।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “हमें शिकायत मिली थी कि सोशल मीडिया अपराधियों, आतंकवादी और हिंसा फैलाने वालों को प्रमोट करने का प्लेटफॉर्म बन गया है। भारत में वॉट्सऐप के यूजर्स 50 करोड़ हैं। फेसबुक के 41 करोड़ यूजर्स हैं, इंस्टाग्राम यूजर्स की संख्या 21 करोड़ और ट्विटर के 1.5 करोड़ यूजर्स हैं। इन सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स के गलत इस्तेमाल और इनके जरिए फेक न्यूज फैलाने की शिकायतें आई हैं। ये चिंताजनक बात थी, इसलिए सरकार ने ऐसे प्लेटफार्म्स के लिए गाइडलाइन तैयार करने का फैसला लिया।”
रविशंकर प्रसाद ने कहा कि आज जो भी गाइडलाइन जारी की गई हैं, वे सभी नोटिफिकेशन जारी होते हुए ही प्रभाव में आ जाएंगी।
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “सोशल मीडिया का देश में स्वागत है। वे यहां आएं बिजनेस करें, पैसा कमाएं, भारतीयों को मजबूत करें। हां, भारत की एकता और अखंडता का ध्यान रखना होगा। सोशल मीडिया में डबल स्टैंडर्ड नहीं होना चाहिए। अगर अमेरिका में कैपिटल हिल्स पर अटैक होता है तो आप पुलिस की कार्रवाई का समर्थन करते हैं लेकिन अगर भारत में लालकिले पर हिंसक हमला होता है तो आप डबल स्टैंडर्ड अपनाते हैं। ये साफतौर पर हमें मंजूर नहीं है।”
केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने कहा, “डिजिटल मीडिया और न्यूज पोर्टल की तरह करोड़ों लोग ओटीटी प्लेटफॉर्म पर आ गए हैं। जो प्रेस से आते हैं, उन्हें प्रेस काउंसिल का कोड फॉलो करना होता है पर डिजिटल मीडिया के लिए बंधन नहीं है। टीवी वाले केबल नेटवर्क एक्ट के तहत कोड फॉलो करते हैं पर ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए ऐसा नियम नहीं है। सरकार ने सोचा है कि सभी मीडिया प्लेटफॉर्म के लिए एक ही न्यायिक व्यवस्था हो। कुछ नियमों का पालन सभी को करना होगा और व्यवस्था बनानी होगी।”
रविशंकर प्रसाद ने कहा, “इसके लिए दोनों सदनों में OTT पर 50 सवाल पूछे गए। इसके बाद हमने दिल्ली, मुंबई और चेन्नई में OTT से जुड़े सभी लोगों की बैठक बुलाई। हमने उन्हें सेल्फ रेगुलेशन की बात कही थी पर यह नहीं हुआ। दूसरी बैठक में हमने 100 दिन के भीतर व्यवस्था बनाने की बात कही, फिर भी नहीं हुआ। इसके बाद हमने सभी मीडिया के लिए इंस्टिट्यूशनल सिस्टम तैयार करने की सोची। मीडिया की आजादी लोकतंत्र की आत्मा है पर हर आजादी जिम्मेदारी भरी होनी चाहिए।”
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