नई दिल्ली। गुजरात विधानसभा चुनाव में बीते 22 साल से सत्ता पर काबिज भाजपा के लिए इस बार चुनाव खासा कठिन रहा। इस बार भाजपा ने भले ही सरकार बना ली हो लेकिन पिछली बार की तुला में सीटों का कम होना उसकी चिन्ता को बढ़ाने वाला है। परिणामों से स्पष्ट है कि गुजरात की जनता को भाजपा से जितनी उम्मीद थी पार्टी उस पर पार्टी खरी नहीं उतरी। इस बार कांग्रेस को थोड़ा सफल कहा जा सकता है।
कांग्रेस को सबसे ज्यादा उम्मीद राज्य में पाटीदारों की बीजेपी से नाराजगी को लेकर थी। पाटीदारों ने हार्दिक पटेल के नेतृत्व में ओबीसी में आरक्षण की मांग की थी। गुजरात की जनसंख्या में पाटीदार 12 फीसदी हैं। इनमें दो उपजातियां कड़ुआ और लेउआ पटेल हैं। राज्य में पाटीदारों के नेता हार्दिक पटेल ने खुले तौर पर अपने समुदाय से बीजेपी को वोट नहीं देने की अपील की थी।
गुजरात विधानसभा चुनावों के परिणाम में भाजपा की जीत पर पाटीदारों की कितनी मोहर लगी है यह जानना जरूरी है। बता दें कि कांग्रेस को जिस हार्दिक पटेल के पाटीदारों पर भरोसा था उसका शहरी पाटीदारों पर कोई खासा असर नहीं दिखा। शहर में रहने वाले पाटीदारों ने बीजेपी को ही वोट दिया है, लेकिन ग्रामीण सीटों पर कांग्रेस ने बाजी मारी है।
गुजरात में जिन सीटों पर पाटीदारों का असर है, उनमें कई सीटों पर कांग्रेस ने इस बार बेहतर प्रदर्शन किया है। राज्य की पाटीदार बाहुल 52 सीटों में से बीजेपी ने 28 सीटें जीतीं है और कांग्रेस 23 सीटें कब्जायी है। एक सीट पर निर्दलीय प्रत्याशी जीता है। यहां बता दें कि 2012 के चुनावों में इन सीटों में बीजेपी की 36 के मुकाबले कांग्रेस 14 सीटें ही जीत सकी थी। दो सीटें केशुभाई पटेल की गुजरात परिवर्तन पार्टी ने जीती थी।
इस बार के चुनाव में सौराष्ट्र-कच्छ में पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में बीजेपी को 12 सीटें कम मिली है। तब भाजपा को इस इलाके से 35 सीटें मिली थीं और कांग्रेस के हिस्से में 16 सीटें थीं, लेकिन इस बार कांग्रेस को 30 सीटें मिली हैं और बीजेपी को 23 सीटों पर ही विजय श्री मिल सकी। माना जा रहा है कि सौराष्ट्र में बीजेपी को यह नुकसान पाटीदार आंदोलन की वजह से हुआ।
सूरत में बेअसर रहे हार्दिक पटेल
सौराष्ट्र में असर के बावजूद पाटीदार आंदोलन सूरत में बेअसर रहा। यहां हार्दिक का जादू नहीं चला। बता दें कि हार्दिक पटेल ने सूरत में रैली की थी और दूसरे पाटीदार नेताओं ने भी सूरत पर फोकस किया था। इसके बावजूद यहां से भाजपा प्रत्याशी ही जीता। जामनगर ग्रामीण सीट पर जहां बीजेपी के पटेल नेता को कांग्रेस प्रत्याशी ने हराया, वहीं गोंडल सीट, जहां 50 फीसद पाटीदार वोटर हैं, वहां बीजेपी प्रत्याशी ने ही जीत अपने नाम की. सूरत की 16 सीटों में से 15 सीटों पर बीजेपी ने जीत दर्ज की है।
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