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‘बहुमत की राय से अलग विचार रखना जायज है लेकिन विघटन मंजूर नहीं’:वेंकैया नायडू

नई दिल्ली।रामजस कॉलेज विवाद पर केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री वेंकैया नायडू ने सोमवार को कहा कि देश में असहमति चल सकती है लेकिन विघटन को बढ़ावा मंजूर नहीं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में अभिव्यक्ति की आजादी का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता कि आप प्रधानमंत्री को उनके नाम से बुला सकते हैं। यहां तक कि आप पीएम की तुलना गधे से कर लेते हैं। आपको इस देश में इस तरह की अभिव्यक्ति की आजादी मिली हुई है।

नायडू ने कहा, ‘एबीवीपी एक राष्ट्रवादी संगठन है। अन्य संगठनों के अपने विचार हैं और उन्हें अपने विचार जाहिर करने दें। किसी बाहरी को विश्वविद्यालय की शांति भंग करने के लिए परिसर में क्यों जाना चाहिए? कोई जम्मू-कश्मीर के लिए आजादी के नारे कैसे लगा सकता है। आप विश्वविद्यालयों को अलगाववादियों का प्रयोगशाला बनने देना चाहते हैं?’

केंद्रीय मंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा, ‘बहुमत की राय से अलग विचार रखना जायज है लेकिन विघटन मंजूर नहीं। कोई भी विघटन को बढ़ावा नहीं दे सकता।’ उन्होंने कहा कि कुछ गुमराह समूह देश के युवा वर्ग को गलत रास्ते पर ढकेलने, सामाजिक तनाव बढ़ाने और लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का प्रयास कर रहे हैं।

इससे पहले, केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने यूनिवर्सिटी परिसरों में हाल में हुई हिंसा के लिए एक ‘उपद्रवकारी गठजोड़’ को जिम्मेदार करार दिया और दलील दी कि अलगाववादी एवं वाम चरमपंथी कुछ संस्थानों में एक जैसी भाषा बोल रहे हैं।

लंदन स्कूल ऑफ इकॉनमिक्स के दक्षिण एशियाई केंद्र के छात्रों से बातचीत के दौरान कुछ सवालों के जवाब में जेटली ने यह टिप्पणी की। छात्रों ने उनसे ‘देश विरोधी’ शब्द के वर्गीकरण और इस हफ्ते दिल्ली युनिवर्सिटी के रामजस कॉलेज में आइसा एवं एबीवीपी के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प के बारे में सवाल किए थे।

जेटली ने शनिवार को कहा, ‘देश के विखंडन जैसी चीजें सोचने वाले किसी विचार से मुझे नफरत है। देश की संप्रभुता को बरकरार रखने की रूपरेखा के दायरे में हम वैचारिक तौर पर मतभेद रख सकते हैं, लेकिन अभिव्यक्ति की आजादी आपको इस बात की इजाजत नहीं देती कि आप देश की संप्रभुता पर हमला करें।

उन्होंने कहा कि यूनिवर्सिटी परिसरों में ‘हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है।’ जेटली ने कहा, ‘व्यक्तिगत तौर पर मेरा मानना है कि भारत और किसी भी समाज में अभिव्यक्ति की आजादी पर बहस होनी चाहिए। यदि आप मानते हैं कि आपको देश की संप्रभुता पर हमला करने का हक है तो इससे मुकाबले के लिए अभिव्यक्ति की आजादी मानने के लिए तैयार रहिए।’

 

 

एजेंसी
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