वाशिंगटन। भारत में आर्थिक हालात खास अच्छे नहीं हैं। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (International Monetary Fund) ने इस पर मुहर लगाते हुए गुरुवार को कहा कि कॉरपोरेट और पर्यावरण नियामक अनिश्चितता एवं कुछ गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों में सुस्ती के कारण भारत की आर्थिक वृद्धि दर उम्मीद से बहुत कमजोर है।
आईएमएफ के प्रवक्ता गेरी राइस (IMF spokesperson Gerry Rice) ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “हां हमारे पास फिर से एक नया आंकड़ा होगा लेकिन भारत में हालिया आर्थिक विकास उम्मीद से बहुत कमजोर है, मुख्य रूप से कॉरपोरेट और पर्यावरण नियामक अनिश्चितता के कारण और कुछ गैर-बैंक वित्तीय कंपनियों (Non-Bank Financial Companies) में कमजोरी के कारण स्थितियां बिगड़ी हैं।”
भारत सरकार के आंकड़े भी तस्दीक करते हैं कि अप्रैल से जून तिमाही में आर्थिक विकास दर सात साल के निचले स्तर 5 प्रतिशत तक पहुंच गई है। अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने वित्त वर्ष 2019-20 के लिए घरेलू मांग के लिए “उम्मीद से कमजोर” होने के कारण भारत की आर्थिक विकास के लिए इसके आंकड़ों को 0.3 प्रतिशत घटाकर 7 प्रतिशत पर रखा है।
आइएमएफ ने कहा है कि वित्त वर्ष 2021 में भारत की विकास दर 7.2 फीसदी रहने की उम्मीद है, जो कि पिछली रिपोर्ट में 7.5 फीसदी की रफ्तार से बढ़ने वाली थी।सांख्यिकी और कार्यक्रम कार्यान्वयन मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि मंदी का मुख्य कारण विनिर्माण क्षेत्र और कृषि उत्पादन में तेज गिरावट है।पिछला निचला स्तर 2012-13 में अप्रैल से जून तक 4.9 प्रतिशत दर्ज किया गया था। वैश्विक व्यापार प्रतिबंधों और कारोबारी धारणा के बीच उपभोक्ता मांग और निजी निवेश कमजोर हुआ है।
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