हेमुकण्ड साहिब। दसवें गुरू गुरु गोविन्द सिंह की तपस्या स्थल श्री हेमकुण्ड साहिब के कपाट अरदास पूजा के बाद शनिवार को 10 बजे श्रद्धालुओं के लिए खोल दिये गये। अधिक ठंड व बर्फ होने के बाद भी कपाट खुलने के अवसर पर 5 हजार से अधिक तीर्थ यात्रियों की विश्व प्रसिद्ध हेमकुंड साहिब पहुंचने की उम्मीद है। उतराखंड की पहाड़ियों में स्थित इस मनोरम धार्मिक स्थल की यात्रा 19 किलोमीटर पैदल चलकर पूरी की जाती है। यह तीर्थ स्थल हर साल हजारों सिख एवं सनातनी यात्रियों को आकर्षित करती है।
बद्रीनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग पर गोविन्द घाट से करीब 21 किलोमीटर की खड़ी चढ़ाई के बाद 15 हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित तीर्थस्थल हेमकुण्ड साहिब पहुंच जाता है. जिसके बाद गोविन्द घाट से पुलना तक 3 किलोमीटर की दूरी वाहन से और बाकी पैदल तय करनी पड़ती है. गुरू वाणी के अनुसार गुरूगोविन्द सिंह पूर्व जन्म में लक्ष्मण के अवतार थे. जो शेष नाग व द्रष्टदमन के रूप में अनन्त काल तक घोर तप कर भगवान विष्णु की सेवा हेम कुण्ड साहिब में करते रहे. जिस कारण यहां पर सिक्ख समुदाय के लोग लक्षमण जी की पूजा अर्चना करते है. पवित्र हेमकुंड साहिब में स्नान कर श्री गुरुग्रन्थ साहिब के प्रकाशोत्सव उत्सव के दर्शन कर यहां गुरु दरबारर में मत्था टेकेंने के बाद तीर्थ यात्री लोकपाल लक्ष्मण मन्दिर के भी दर्शन करते हैं. इस दौरान गुरुग्रंथ साहिब को सतखण्ड से हेमकुंड दरबार लाया गया है. जिसके बाद पहली अरदास गुरुवाणी व सुखमनी पाठ के साथ की गई. मान्यता है कि गुरू गोविन्द सिंह ने पूर्व जन्म में यहां पर तपस्या की थी. श्री हेमकुण्ड साहिब की यात्रा 1 जून से 15 अक्टूबर जारी रहेगी. दुर्गम पैदल धर्मिक यात्रा के सफल संचालने के लिए प्रशासन ने व्यापक तैयारियां की हैं.