नई दिल्ली। देश के सभी जिलों में मानवाधिकार अदालत के गठन के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने उत्तराखंड और राजस्थान सरकार पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है जबकि उत्तर प्रदेश, मिजोरम, मेघालय, तेलंगाना और ओडिसा सरकार पर 50-50 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।
शीर्ष अदालत ने 4 जनवरी 2018 को राज्यों को हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया था जिसमें बताना था कि मानवधिकार कोर्ट बनाया है या नहीं। राजस्थान सरकार की ओर से न तो हलफनामा दाखिल किया गया और न ही उनके वकील पेश हुए। राजस्थान समेत अब तक 7 राज्यों ने हलफनामा दाखिल नहीं किया है।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र, सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से जवाब मांगा था। याचिकाकर्ता का कहना था कि मानवाधिकार अधिनियम-1993 में मानवाधिकार उल्लंघन मामलों के जल्द निपटारे के लिए अदालत बनाने की बात कही गई है पर 25 साल बीतने के बावजूद यह संभव नहीं हो सका है। अधिनियम के अनुसार विशेष अभियोजक की नियुक्ति का भी प्रावधान है।
मानवाधिकार रिपोर्ट में 2018 में भारत में मानवाधिकार की स्थिति पर निराशा जाहिर की गई थी। इस रिपोर्ट में पुलिस की प्रताड़ना और हिरासत में मौत का जिक्र होने के साथ ही जेलों और डिटेंशन सेंटर की खराब हालत का भी उल्लेख है।
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