नई दिल्ली। कोरोना वायरस संक्रमण की तेज होती दूसरी लहर के बीच भारत में रूसी कोविड वैक्सीन स्पुतनिक-V (Sputnik-V)के आपातकालीन इस्तेमाल को मंजूरी मिल गई है। हैदराबाद की डॉ. रेड्डीज लैब द्वारा भारत में निर्मित इस वैक्सीन की प्रभावशीलता 91.6 प्रतिशत है जो कि मॉडर्ना और फाइजर शॉट्स के बाद सबसे अधिक है। भारतीय दवा नियामक की सब्जेक्ट एक्सपर्ट कमेटी (SEC) ने इसके इस्तेमाल की मंजूरी दी है। अब ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DGCI) इस पर फैसला लेगा। मंजूरी मिलने पर यह भारतीय कोरोना टीकाकरण अभियान में शामिल होने वाली तीसरी वैक्सीन बन जाएगी।
डॉ. रेड्डी ने स्पुतनिक-V के आपातकालीन उपयोग के लिए इसी साल 19 फरवरी को आवेदन किया था, जो भारत समेत यूएई, वेनेजुएला और बेलारूस में क्लीनिकल ट्रायल के तीसरे चरण में है। भारत में स्पुतनिक-V का कालीनिकल परीक्षण 18 से 99 साल के उम्र के लोगों के बीच लगभग 1,600 लोगों पर किया जा रहा है।
भारत में 16 जनवरी को टीकाकरण शुरू हुआ था और इसके लिए इसी साल की शुरुआत में कोवीशील्ड और कोवैक्सिन को मंजूर किया गया था। कोवीशील्ड को ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी और एस्ट्राजेनेका ने मिलकर बनाया है। भारत में पुणे का सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इसका उत्पादन कर रहा है। कोवैक्सिन को भारत बायोटेक ने इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरलॉजी (NIV) के साथ मिलकर बनाया है।
पिछले सप्ताह रिपोर्ट आई थी कि ज्यादातर बड़े राज्यों में वैक्सीन डोज खत्म हो गए हैं। जिस रफ्तार से टीके लगाए जा रहे हैं, उस रफ्तार से बन नहीं रहे। इस वजह से तीसरी वैक्सीन को मंजूरी देना बेहद जरूरी हो गया है।
स्पुतनिक-V इसलिए है खास
- मॉर्डना और फाइजर की mRNA वैक्सीन ही 90% अधिक इफेक्टिव साबित हुई हैं। इसके बाद स्पुतनिक-V ही सबसे अधिक 91.6% इफेक्टिव रही है। इसे रूस के गामालेया इंस्टीट्यूट ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) की फंडिंग से बनाया है।
- यह दो एडेनोवायरस वेक्टर से बनी है यानी कोवीशील्ड जैसी है। कोवीशील्ड में चिम्पांजी में मिलने वाले एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया है। वहीं, रूसी वैक्सीन में दो अलग-अलग वेक्टरों को मिलाकर इस्तेमाल किया है। एस्ट्राजेनेका और रूसी वैक्सीन के कम्बाइंड ट्रायल्स की बात भी चल रही है।
- स्पुतनिक-V को 1 अप्रैल की स्थिति में दुनिया के 59 देशों में अप्रूवल मिला है। सबसे पहले अगस्त 2020 में रूस ने इसे मंजूरी दी थी। इसके बाद बेलारूस, सर्बिया, अर्जेंटीना, बोलिविया, अल्जीरिया, फिलिस्तीन, वेनेजुएला, पैराग्वे, यूएई, तुर्कमेनिस्तान में भी इसे अप्रूवल दिया था। है। यूरोपीय यूनियन के ड्रग रेगुलेटर से जल्द ही अप्रूवल मिल सकता है।
भारत में कैसे हो सकती है गेमचेंजर?
- भारत में इस समय दो ही वैक्सीन उपलब्ध हैं। इनमें कोवैक्सिन का एफिकेसी रेट 81% है जबकि कोवीशील्ड का कुछ शर्तों के साथ 80% तक। ऐसे में 91.6% इफेक्टिवनेस के साथ रूसी वैक्सीन सबसे ज्यादा इफेक्टिव वैक्सीन हो जाएगी।
- इस समय दोनों उपलब्ध वैक्सीन का उत्पादन 4 करोड़ डोज प्रतिमाह है। अभी 35 लाख डोज रोजाना दिए जा रहे हैं। ऐसे में कम से कम 7 करोड़ डोज हर महीने चाहिए होंगे। डिमांड पूरी करने के लिए फिलहाल स्पुतनिक-V को मंजूरी देना जरूरी हो गया है।
- RDIF के सीईओ किरिल दिमित्रेव के अनुसार यह वैक्सीन सब तक पहुंच सके, इसके लिए इसकी कीमत 10 डॉलर से कम रखी गई है। यानी 700 रुपये से भी कम यह उपलब्ध होगी। दुनियाभर में 90% से ज्यादा इफेक्टिवनेस साबित करने वाली अन्य वैक्सीन के मुकाबले यह बेहद सस्ती है। अच्छी बात यह है कि इसे 2 से 8 डिग्री सेल्सियस तापमान पर स्टोर किया जा सकता है जो मौजूदा सप्लाई चेन में आसानी से उपलब्ध है।
- भारत में रुसी वैक्सीन को डॉ. रेड्डीज लैबोरेटरी विकसित कर रही है और इसके 1,500 वॉलंटियर्स पर फेज-3 ब्रिजिंग ट्रायल्स किए हैं। इसी आधार पर स्पुतनिक के लिए मंजूरी मांगी है। इसके साथ-साथ हिटरो बायोफार्मा और ग्लैंड फार्मा में भी प्रोडक्शन होगा। भारत में 35.2 करोड़ डोज सालाना प्रोडक्शन हो सकेगा।
91.6% इफेक्टिव, इम्यून रिस्पॉन्स तेजी से बढ़ाती है
- इस वैक्सीन को रशियन फेडरेशन में स्वास्थ्य मंत्रालय के गामालेया नेशनल रिसर्च सेंटर ऑफ एपिडेमियोलॉजी एंड माइक्रोबायोलॉजी विभाग ने रशियन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट फंड (RDIF) के साथ मिलकर बनाया है। स्पुतनिक-V एक एडेनोवायरस प्लेटफॉर्म पर बनी वैक्सीन है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका के डोज की तरह ही है, पर इसमें अलग एडेनोवायरस का इस्तेमाल किया गया है।
- डेवलपर्स का कहना है कि स्पुतनिक-V ज्यादा जल्दी और इफेक्टिव तरीके से इन्फेक्शन के खिलाफ इम्यून रिस्पॉन्स बढ़ाती है। अंतरिम एफिकेसी एनालिसिस 19,866 वॉलंटियर्स पर की गई स्टडी के आधार पर है। इसमें 14,964 को वैक्सीन लगाई गई थी, जबकि 4,902 लोगों को प्लेसिबो (सलाइन वॉटर)। स्टडी में 2,144 वॉलंटियर्स 60 वर्ष या उससे ज्यादा उम्र के थे। इनमें भी वैक्सीन ने अच्छी इफेक्टिवनेस दिखाई है। वैक्सीन पहले ही 59 देशों में अप्रूवल पा चुकी है।
- अगस्त 2020 में जब रूस ने स्पुतनिक-V को अप्रूवल दिया तो पूरी दुनिया में इसे संदेह की नजर से देखा गया था। तब तक इसकी इफेक्टिवनेस के आंकड़े सामने नहीं आए थे। इसके बाद ट्रायल्स के नतीजे सामने आए तो पता चला कि यह वैक्सीन वाकई में इफेक्टिव है।
- यह वैक्सीन गंभीर लक्षणों या मौत रोकने में 100% इफेक्टिव है। यह बहुत महत्वपूर्ण पैरामीटर है, क्योंकि यह लोगों की जान बचा सकती है। सिंगल डोज भी बीमारी के खिलाफ 87.6% तक प्रोटेक्शन देता है।