नई दिल्ली। पूर्वी लद्दाख में भारत और चीन के बीच सैन्य गतिरोध दूर करने की दिशा में लंबे समय बाद सकारात्मक संकेत मिले हैं। दोनों ही देशों की सेनाएं गोगरा इलाके से पीछे हटने को राजी हो गई हैं। भारत और चीन के बीच 12वें दौर की कोर कमांडर लेवल की बातचीत में दोनों ही पक्ष पैट्रोलिंग पॉइंट 17-ए से पीछे हटने के लिए तैयार हुए हैं। पूर्वी लद्दाख सेक्टर में इस पैट्रोलिंग पॉइंट को लेकर दोनों ही देशों में गतिरोध बना हुआ था।सूत्रों ने बताया है कि कोर कमांडर लेवल की 12वें दौर की बातचीत में दोनों ही पक्षों में पीपी-17 ए से पीछे हटने को लेकर समझौता हुआ है। पैट्रोलिंग पॉइंट 17-ए को गोगरा के नाम से जाना जाता है। हालांकि अकेले इस कदम से पूर्वी लद्दाख में दोनों देशों के बीच टकराव खत्म होने की संभावना नहीं है क्योंकि कुछ और पॉइंट्स पर तनातनी की स्थिति बनी हुई है।
पिछले साल गलवान घाटी में हिंसक सैन्य झड़प के बाद तमाम दौर की कूटनीतिक और सैन्य बातचीत के बाद दोनों देश ही विवाद वाले इलाकों से अपनी-अपनी सेनाओं को पीछे हटाने पर राजी हुए थे। इस साल फरवरी में पैंगोंग झील इलाके में दोनों देशों की सेनाएं पीछे हट गईं लेकिन चीन बाकी विवादित इलाकों से हटने में आनाकानी कर रहा है। ऐसे में 12वें दौर की कोर कमांडर लेवल की बातचीत में अच्छी प्रगति हुई है। दोनों ही पक्ष पैट्रोलिंग पॉइंट-15 (हॉट स्प्रिंग) और देपसांग इलाके में जारी गतिरोध को दूर करने के लिए बातचीत जारी रखेंगे।
दोनों देशों के बीच 31 जुलाई को चुशुल-मोल्डो में 12वें दौर की कोर कमांडर लेवल की बातचीत हुई थी। उसे लेकर 2 अगस्त को दोनों ही ओर से संयुक्त बयान जारी हुआ। उसके मुताबिक, ”दोनों ही पक्षों का मानना है कि इस दौर की बातचीत रचनात्मक थी, जिससे आपसी समझ बढ़ी है।” खास बात यह है कि यह बातचीत 14 जुलाई को डुशांबे में दोनों ही देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक के बाद हुई है।