नई दिल्ली। केंद्रीय जांच एजेंसी (सीबीआई) के अनुसार भारतीय पुरुषों की काम पिपासा और हवस की वजह से हिंसात्मक साइबर पॉर्न में बढ़ोतरी देखने को मिल रही है। मीडिया में सामने आई कुछ रिपोर्टों के अनुसार, सीबीआई ने गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट में बताया कि मौजूदा व्यवस्था में हिंसात्मक पॉर्न को रोक पाना बेहद मुश्किल भरा काम है।
शीर्ष कोर्ट में दिए गए हलफनामे के अनुसार, मर्दों की कभी न पूरी होने वाली हवस की मांग को पूरी करने के लिए पॉर्न कंटेंट उपलब्ध करवाने वाले लोग लगातार साइट बदलते रहते हैं, जिस पर नियंत्रण कर पाना बेहद पेचीदा व मुश्किल काम है। सीबीआई ने कहा कि इंटरनेट पर पॉर्नोग्राफी में बढ़ोतरी के पीछे पुरुष ही सबसे बड़े कारण हैं। सीबीआई ने बताया कि यह कड़वी सच्चाई है कि सूचना तकनीक के क्षेत्र में आए बदलाव व तेजी ने बलात्कार और गैंगरेप जैसी घटनाओं को नया रूप दे दिया है। सबसे बुरी बात यह है कि साइबर सेक्स का स्वरूप कुछ ऐसा हो चुका है कि राज्य की सीमाओं में बंधी पुलिस के लिए इन पर नियंत्रण कर पाना नामुमकिन है। यदि एक वेबसाइट को ऐसे कंटेंट के कारण ब्लॉक कर दिया जाता है, तो दूसरे-तीसरे वेबसाइट पर कंटेंट डाल दिया जाता है और यह धंधा बदस्तूर चलता रहता है।
भारत में साइबर सेक्स व हिंसात्मक पॉर्न के मामलों की जांच करने व अपराधियों को पकड़ने के लिए सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में कहा कि ज्यादातर अपराधी दूसरे देशों के हैं और हमें लगता है कि इस तरह के मामलों की जांच करने में वह सक्षम है। इसके लिए सीबीआई ने अपने अनुभव व विशेषज्ञता का हवाला भी दिया। सीबीआई ने सुझाव दिया है कि इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर्स व सोशल नेटवर्किंग साइट्स के साथ एक सीबीआई अधिकारी को तैनात करना चाहिए। इससे मामले पर तेजी से काम करने में मदद मिल सकती है। इसके पीछे सीबीआई ने अमेरिका का भी उदाहरण दिया, जहां एफबीआई अधिकारियों को बड़ी इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर कंपनियों के साथ नियुक्त किया जाता है।
सीबीआई के अनुसार, बलात्कार और गैंगरेप की घटनाओं से पता चलता है कि एक अपराधी पुरुष भारतीय महिलाओं को लेकर कितना अमानवीय होता है। ऐसे वीभत्स अपराध करने के बाद उसकी रिकॉर्डिंग करना और उसे इंटरनेट के जरिये पूरी दुनिया को दिखाकर दूसरे पुरुषों को भी उकसाया जाता है।