नई दिल्ली ।प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज कहा कि आध्यात्म भारत की ताकत है और दुर्भाग्य से कुछ लोग इसे धर्म से जोड़ देते हैं. भारत योगदा सत्संग समाज (YSS) के शताब्दी वर्ष समारोह को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आध्यात्म की यात्रा की दिशा में योग पहला कदम है। मोदी ने कहा कि विश्व भारत की तुलना उसकी आबादी, जीडीपी या रोजगार दर के आधार पर करता है लेकिन दुनिया ने भारत के अध्यात्म को न कभी जाना और न ही उसे मान्यता दी ।

आध्यात्म भारत की ताकत है

उन्होंने कहा, ‘ आध्यात्म भारत की ताकत है।लेकिन दुर्भाग्य की बात है कि कुछ लोग आध्यात्म को धर्म से जोड़ देते हैं। आध्यात्म और धर्म दोनों एक दूसरे से अलग हैं। ’ प्रधानमंत्री ने इस संदर्भ में योगी परमहंस की प्रशंसा की जो अपने संदेश के प्रसार के लिए भारत से बाहर गए लेकिन सदैव भारत से जुड़े रह।

मोदी की यह टिप्पणी इस बात की पृष्ठभूमि में सामने आई है जिसमें इस बात को लेकर बहस चल रही है कि कुछ राजनीतिक दल विशेष तौर पर चुनाव के दौरान समाज का ध्रवीकरण करने का प्रयास करते हैं। योग के बारे में चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि यह आध्यात्म की दुनिया में प्रवेश का सीधा मार्ग है।

उन्होंने कहा, ‘ योग आध्यात्म की दुनिया में जाने का प्रवेश बिन्दु है। योग आध्यात्मक की यात्रा का प्रवेश बिन्दु है । किसी को भी इसे अंतिम बिन्दु नहीं मानना चाहिए क्योंकि यह सामान्यत: आध्यात्मक की दुनिया का प्रवेश बिन्दु है।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘ जब किसी व्यक्ति की योग में रूचि हो जाती है और वह ठीक ढंग से उसका अभयास करना शुरू करता है, यह हमेशा उसके जीवन का हिस्सा बना रहता है। ’ मोदी ने योगी जी के दिखाये मार्ग को याद करते हुए कहा कि यह ‘मुक्ति’ के संबंध में नहीं बल्कि ‘अंतरयात्रा’ के संबंध में था।

उन्होंने कहा कि परमहंस का क्रिया योग मानव शरीर के भीतर की जीवन उर्जा के प्रवाह को सक्रिय बनाता है। परमहंस के अंतिम शब्दों को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी शिक्षा मानवीय मूल्यों और सभी के प्रति करूणा के भाव से परिपूर्ण है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री को एक स्मारिका भेंट की गई जिसमें योगी के अंतिम शब्द दर्ज हैं।

एजेंसी
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