चीनी सेना लेह से लेकर अरुणाचल प्रदेश तक घुसपैठ करती रहती है। अरुणाचल प्रदेश में ड्रैगन ने इस तरह की सबसे ज्यादा हरकतें की हैं।

नई दिल्ली। तिब्बत से लगती भारत की सीमा, खासकर अरुणाचल प्रदेश क्षेत्र में ड्रैगन की हरकतों के मद्देनजर भारत-तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी) ने केंद्र सरकार से “हिमवीरों” की नौ अतिरिक्त बटालियनों की मांग की है।

दरअसल, चीनी सैनिक आये दिन भारतीय सीमा में घुसपैठ का प्रयास करते रहते हैं। लेह से लेकर उत्तराखंड के बारोहोती और अरुणाचल प्रदेश में घुसपैठ की कई घटनाएं हो चुकी हैं। ये पूरी सीमा अति दुर्गम है, खासकर अरुणाचल प्रदेश में आईटीबीपी की एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट की दूरी कई जगहों पर 100 किलोमीटर से भी ज्यादा है।  पहाड़ी और जंगली इलाके में पैट्रोलिंग बेहद कठिन और थकाऊ काम है। कैंपों के बीच कई किलोमीटर का फासला होने से यह समस्या और भी जटिल हो जाती है। ऐसे में घुसपैठ की जानकारी समय पर नहीं मिल पाती है।

अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके बेहद संवेदनशील

गृह मंत्रालय के एक अधिकारी के अनुसार ‘अरुणाचल प्रदेश से सटे इलाके बेहद संवेदनशील है और लेह व बारोहती के मुकाबले अरुणाचल प्रदेश में आईटीबीपी के जवानों की संख्या कम है। इस कारण आईटीबीपी नौ  नई बटालियनों की स्वीकृती चाहती है। इसकी फाइल गृह मंत्रालय में लंबित है और रक्षा मंत्रालय के जवाब का इतंजार किया जा रहा है।’ आईटीबीपी के एक अधिकारी के अनुसार, ‘अरुणाचल प्रदेश में हमारे जवानों के लिए एक पोस्ट से दूसरी पोस्ट को मेंटेन करने में काफी दिक्कतें आ रही है। ऐसे में हम ये चाहते हैं कि इस मामले में गृह मंत्रालय जल्द फैसला करे।’

सूत्रों के अनुसार भारतीय सेना आईटीबीपी पर ऑपरेशन कंट्रोल चाहती है जिससे सेना और आईटीबीपी के बीच बेहतर तालमेल हो सके, हालांकि इसे लेकर आईटीबीपी ज्यादा उत्सुक नहीं है। यही नहीं, पिछले कई दिनों से “वन बार्डर वन फोर्स” की तर्ज पर यह मंथन चल रहा है कि म्यामांर से सटे भारतीय इलाकों की निगरानी की जिम्मेदारी किसे दी जाए। इन इलाकों में फिलहाल आसाम राइफल्स तैनात है। आसाम राइफ्लस ऐसी फोर्स है जिसे सेना के अधिकारी लीड करते हैं। इसी तर्ज पर सेना भारत-चीन सीमा पर आईटीबीपी पर ऑपरेशन कंट्रोल चाहती है। यही वजह है कि आईटीबीपी की नई नौ बटालियनों के फैसले में विलंब हो रहा है।

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