नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन छह माह बढ़ाने का प्रस्ताव सोमवार सायं राज्यसभा में पारित हो गया। इससे पहले गृहमंत्री अमित शाह ने सदन में जम्मू-कश्मीर में सीमा पर रहने वालों के लिए आरक्षण और राज्य में राष्ट्रपति शासन छह महीने बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को पेश किया। इस प्रस्ताव पर भाजपा को तब बड़ी राहत मिली जब टीएमसी, बीजेडी और वाइएसआरसीपी जैसी पार्टियों ने उसे समर्थन देने का ऐलान कर दिया। लोकसभा इस प्रस्ताव को पहले ही पास कर चुकी है।
विपक्ष द्वारा उठाए गए सवालों के जवाब देते हुए शाह ने कहा, कि हम राज्य में राष्ट्रपतति शासन सिर्फ सुरक्षा की दृष्टि से बढ़ाने के लिए कह रहे हैं। हमारे पास पहले से ही 16 राज्य हैं, ऐसे में विपक्ष का ये आरोप कि हम राष्ट्रपति शासन के जरिए कश्मीर में शासन करना चाहते हैं, पूरी तरह गलत है। इस बहस के बाद राज्यसभा ने जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपतति शासन छह महीने और बढ़ाने के साथ ही सीमा पर रहने वालों को आरक्षण देने वाले विधेयक को सर्वसम्मति से मंजूरी दे दी।
कश्मीर को कोई देश से अलग नहीं कर सकता
इससे पहले विपक्ष के सवालों पर जवाब देते हुए गृह मत्री ने कहा, “मैं नरेंद्र मोदी सरकार की तरफ से सदन के सभी सदस्यों तक ये बात रखना चाहता हूं कि कश्मीर भारत का अभिन्न अंग हैं और इसे कोई देश से अलग नहीं कर सकता। मैं फिर दोहराना चाहता हूं कि नरेंद्र मोदी सरकार की आतंकवाद के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति है। लोकतंत्र सिर्फ परिवार वालों के लिए ही सीमित नहीं रहना चाहिए। लोकतंत्र गांव तक जानी चाहिए, चालीस हज़ार पंच,-सरपंच तक जाना चाहिए और ये ले जाने का काम हमने किया है।”
जम्मू-कश्मीर के किसी भी व्यक्ति को डरने की जरुरत नहीं
अमित शाह ने कहा कि जो भारत को तोड़ने की बात करेगा उसको उसी भाषा में जवाब मिलेगा और जो भारत के साथ रहना चाहते हैं उनके कल्याण के लिए हम चिंता करेंगे। जम्मू-कश्मीर के किसी भी व्यक्ति को डरने की जरुरत नहीं है। कश्मीर की आवाम की संस्कृति का संरक्षण हम ही करेंगे। एक समय आएगा जब माता क्षीर भवानी मंदिर में कश्मीरी पंडित भी पूजा करते दिखाई देंगे और सूफी संत भी वहां होंगे। मैं निराशावादी नहीं हूं। हम इंसानियत की बात करते हैं.
शाह ने कहा, “मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि आयुष्मान भारत योजना के तहत एक साल के अंदर किसी एक राज्य में सबसे ज्यादा लाभार्थी हैं तो वे जम्मू-कश्मीर में हैं। नरेंद्र मोदी सरकार में गरीबों को मुफ्त इलाज की सुविधा दी जा रही है। ये इंसानियत है। गुलाम नबी साहब ने बोला कि चुनाव आप करा दीजिए। हम कांग्रेस नहीं हैं कि हम ही चुनाव करा दें। हमारे शासन में चुनाव आयोग ही चुनाव कराता है। हमारे शासन में हम चुनाव आयोग को नहीं चलाते। राम गोपाल जी ने कहा कि कश्मीर विवादित है तो मैं बताना चाहूंगा कि न कश्मीर विवादित है, न पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर विवादित है। ये सब भारत के अभिन्न अंग हैं।“
शाह ने कांग्रेस को भी लपेटा
अमित शाह ने अपनी बात रखते हुए कांग्रेस को भी लपेटे में ले लिया। कहा, कांग्रेस को एक बात बतानी चाहिए कि 1949 में जब एक तिहाई कश्मीर पाकिस्तान के कब्जें में था तो आपने सीजफायर क्यों कर दिया। ये सीजफायर न हुआ होता ये झगड़ा ही न होता, ये आतंकवाद ही नहीं होता, करीब 35 हजार जानें नहीं गई होती। इन सबका मूल कारण सीजफायर ही था।