बता दें कि 87 सीटों वाली जम्मू-कश्मीर विधानसभा में भाजपा के पास 25 सीट और पीडीपी के पास 28 सीटें हैं। समर्थन वापसी के बाद महबूबा मुफ्ती ने राज्यपाल नरेंद्र नाथ वोहरा को इस्तीफा सौंप दिया है। इस बीच, उपमुख्यमंत्री कवींद्र गुप्ता ने भी भाजपा की तरफ से मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के मंत्रिमंडल में शामिल सभी मंत्रियों के इस्तीफों की पुष्टि करते हुए कहा कि अब हम गठबंधन से अलग हो चुके हैं। इसलिए मंत्रिमंडल और सरकार में बने रहने का कोई औचित्य नहीं हैं। हमने अपने इस्तीफे मुख्यमंत्री को सौंप दिए हैं।
-पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या
श्रीनगर में दिन दहाड़े आतंकवादियों द्वारा पत्रकार शुजात बुखारी की हत्या से भाजपा की दिक्कते बढ़ने लगी थी। यह एक ऐसा कारण बना, जिसकी आड़ में भाजपा को अलग होने का मौका मिला। पांच दिनों में भी हत्यारों तक पुलिस की पहुंच न होने से भाजपा ने मुख्यमंत्री पर सवाल भी खड़े किए हैं।
-ऑपरेशन ऑलआउट रोकने की मियाद बढ़ाना
रमजान के महीने में सुरक्षा बलों की तरफ से आतंकवादियों के खिलाफ ऑपरेशन ऑल आउट रोकने को लेकर भी भाजपा व पीडीपी में विवाद था। केंद्र सरकार ने रमजान खत्म होते ही आपरेशन ऑल आउट शुरू कर दिया, जबकि पीडीपी इसे आगे बढ़ाने पर जोर दे रही थी। इससे भाजपा की मुश्किलें बढ़ रहीं थी।
-कठुआ मामला
कठुआ में बच्ची के साथ दुष्कर्म व हत्या के मामले में भाजपा व पीडीपी आमने-सामने आ गई थी। भाजपा नेताओं ने आरोपी के समर्थन में रैली भी निकाली। इस मामले में पीडीपी आरोपियों के खिलाफ कड़ा रुख अपनाए थी।
-मेजर गगोई का मामला
सेना के मेजर गोगोई ने पत्थरबाजों के जवाब में स्थानीय नागरिक फारुख अहमद डार को जीप के बोनट पर बांध कर घुमाने के मामले में भी भाजपा व पीडीपी आमने सामने आ गई थी। सेना ने गगोई को इनाम दिया था और दूसरी तरफ राज्य सरकार ने गोगोई के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई थी।
-अलगाववादियों से चर्चा
महबूबा मुफ्ती की पूरी कोशिश थी कि शांति बहाली के लिए अलगाववादी संगठन हुर्रियत के साथ बातचीत की जाए। जबकि भाजपा का हुर्रियत को लेकर रुख एकदम कड़ा रहा है। दोनों के बीच विवाद निपटाने व समाधान के लिए केंद्र ने वार्ताकार के रूप में दिनेश्वर शर्मा को जम्मू कश्मीर में भेजा था।
-अनुच्छेद 370
गठबंधन के समय ही जम्मू कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान के अनुच्छेद 370 को लेकर दोनों दलों में मतभेद रहा। जहां यह भाजपा का कोर मुद्दा था, वहां पीडीपी इसके लिए कतई तैयार नहीं थी। ऐसे में यह ठंडे बस्ते में रहा, लेकिन भाजपा व संघ को इससे दिक्कतें हो रही थीं।
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