बरेली। करी पत्ता जिसके बारे में उत्तर भारत के लोगों को ज्यादा जानकारी नहीं है और वे इसे दक्षिण भारतीय व्यंजनों सांभर, डोसा आदि में डाली जाने वाली मसाला पत्ती के रूप में ही जानते हैं। हकीकत तो यह है कि उत्तर प्रदेश, उत्तारखंड समेत देश के ज्यादातर हिस्सों में जंगलों, रेल पटरियों और सड़कों के किनारे इसके पेड़ पाए जाते हैं और अब तो बहुत से लोग इसे अपने किचन गार्डन में भी लगाने लगे हैं।

दक्षिण भारतीय व्यंजनों में इसका जमकर इस्तेमाल होता है तो गुजरात में ढोकला और अब उत्तर भारत में कढ़ी में छौंक लगाने और आलू के भरवा परांठे में भरावन के साथ मिलाकर भी इसका इस्तेमाल होने लगा है। इसका हल्का कड़वा स्वाद खाने में ऐसा स्वाद लेकर आता है कि वाकई लगता है कि हम देसी खाना खा रहे हैं। करी पत्ते का छोटा सा पत्ता दिखने में जितना छोटा है, स्वाद में उतना ही अच्छा और सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद होता है। 

करी पत्ता में लोहा (iron) और फॉलिक एसिड पर्याप्त मात्रा में होता है। शरीर में लोहे की कमी सिर्फ इसकी पर्याप्त मात्रा ने होने से ही नहीं होती है बल्कि शरीर के लौह तत्व को सोख न पाने के कारण भी होती है। फॉलिक एसिड लोहे को सोखने में मदद करता है। करी पत्ता इन दोनों कामों को करके शरीर में खून की कमी को दूर करता है।

करी पत्ता अधिक शराब पीने से यकृत (Lever) को होने वाले नुकसान की भी भरपाई करता है। एशियन जर्नल ऑफ फार्मासुटिकल एंड क्लीनिकल रिसर्च के अनुसार शरीर में केम्पफेरॉल के कारण  ऑक्सिडेटिव स्टेस और टॉक्सिन्स को बहुत क्षति पहुंचाती है। करी पत्ता इससे हमारा बचाव करता है।

जर्नल ऑफ प्लांट फूड फॉर न्यूट्रिशन की एक रिपोर्ट के अनुसार करी पत्ता में मौजूद फाइबर खून में मौजूद इन्सुलिन को प्रभावित करके रक्त शर्करा के स्तर (Blood sugar level) को कम करता है। यह पाचन शक्ति को बढ़ाता है और वजन कम करने में भी सहायक है। मधुमेह (diabetes) से पीडित लोगों को इसका नियमित सेवन काफी लाभ देता है। करी पत्ता जहां खून में कोलेस्ट्रोल को कम करता है, वहीं गुड कोलेस्ट्रोल के मात्रा को बढ़ाकर हृदय संबंधी रोगों और एनथेरोक्लेरोसीस से बचाव भी करता है।

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