पूरा देश उनकी जिंदगी की सलामती के लिए दुआएं कर रहा था लेकिन हनुमनथप्पा जिंदगी की जंग हार गए। डॉक्टरों की तमाम कोशिशों के बावजूद उन्हें नहीं बचाया जा सका। उनका इलाज दिल्ली में सेना के रिसर्च एंड रेफरल अस्पताल में किया जा रहा था। वह पिछले कई घंटे से कोमा में चले गए थे। अस्पताल लाए जाने के वक्त से ही उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया था।
हनुमानथप्पा छह दिन तक सियाचिन ग्लेशियर में बर्फ के नीचे दबे रहे थे। 150 से ज्यादा सैनिकों और दो खोजी श्वानों- डॉट तथा मीशा के दल ने कोप्पाड को 20,500 फुट की उंचाई पर सियाचिन ग्लेशियर में बर्फ के नीचे से निकाला गया था। उन्हें वायु सेना के एक विमान द्वारा यहां लाया गया था जिसके साथ वायुसेना के एक गहन चिकित्सा विशेषज्ञ और सियाचिन आधार शिविर के एक चिकित्सक भी थे।
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