नई दिल्ली। अयोध्या राम जन्मभूमि जमीन विवाद मामले में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ में 7वें दिन की सुनवाई में रामलला विराजमान की तरफ से पक्ष रखा गया। रामलला विराजमान की ओर से अधिवक्ता सीएस वैद्यनाथन ने अपनी दलीलें रखते हुए खुदाई के दौरान मिले अवशेषों पर आधारित रिपोर्ट दिखाई और दावा किया कि वहां बाल रूप में भगवान राम की मूर्ति विराजमान थी
संविधान पीठ को विवादित ज़मीन के नक्शे और फोटोग्राफ दिखाते हुए वैद्यनाथन ने कहा कि खुदाई के दौरान मिले खंभों में श्रीकृष्ण, शिव तांडव और श्रीराम की बालरूप की तस्वीरें नज़र आती हैं। 1950 में वहां हुए निरीक्षण के दौरान भी तमाम ऐसी तस्वीरें और ढांचे मिले थे जिनके चलते उसे कभी भी एक वैध मस्ज़िद नहीं माना जा सकता। किसी भी मस्ज़िद में इस तरह के खंभे नहीं मिलेंगे। । रामलाल के वकील ने कहा कि जन्मस्थल पर नमाज इसलिए पढ़ी जाती रही जिससे उन्हें (मुस्लिम पक्ष को) इस पर कब्जा मिल जाए। इस नमाज़ में विश्वास का पूर्ण अभाव था। नमाज़ सड़क पर भी पढ़ी गई तो क्या वह मस्जिद बन जाएगी?
इस पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव धवन ने हस्तक्षेप करते हुए कहा कि कई पहलुओं को गलत तरीके से पेश किया जा रहा है जो स्पष्ट नहीं हैं। वैद्यनाथन ने पुरातात्विक विभाग (ASI) की रिपोर्ट वाली एल्बम की तस्वीरें तथा मेहराब और कमान की तस्वीरें भी कोर्ट को दिखाईं जो 1990 में खींची गई थीं। उसमें कसौटी पत्थर के स्तंभों पर श्रीराम जन्मभूमि उत्कीर्ण है जो तस्वीरों में भी साफ-साफ दिखता है। कमिश्नर की रिपोर्ट में पाषाण स्तंभों पर श्रीराम जन्मभूमि यात्रा भी लिखा है। श्रीराम जन्मभूमि पुनरोद्धार समिति (याचिका 9) शंकराचार्य की ओर से कहा गया कि वो प्रिंस ऑफ वेल्स की यात्रा की याद में लिखा गया शिलालेख था। स्तंभों और छत पर बनी मूर्तियां, डिजाइन, आलेख और कलाकृतियां मंदिरों में अलंकृत होने वाली और हिंदू परंपरा की ही हैं, मस्जिदों में मानवीय या जीव-जंतुओं की मूर्तियां नहीं हो सकतीं।
रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि इस्लाम में नमाज़ तो कहीं भी हो सकती है। मस्जिदें तो सामूहिक साप्ताहिक और दैनिक प्रार्थना के लिए ही होती हैं। मुस्लिम पक्ष के वकील धवन ने कहा कि उन्होंने ये कभी स्वीकार नहीं किया कि वहां मस्जिद नहीं थी। जवाब में रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि मुस्लिम पक्षकार के वकील के हवाले से उनकी तरफ से कुछ नहीं कहा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने रामलला विराजमान के वकील वैद्यनाथन से यह साबित करने के लिए कहा कि बाबरी मस्जिद का निर्माण जिस ढांचे पर हुआ था वह मंदिर या किसी भी प्रकार का धार्मिक ढांचा था। वैद्यनाथन का जवाब- भूमिगत ढांचा बहुत विशाल था। एएसआई की रिपोर्ट से साफ है कि मस्जिद किसी खाली पड़ी या कृषि भूमि पर नहीं बनी, मस्जिद एक बहुत बढ़े ढांचे के ऊपर बनी।
न्यायमूर्ती चंद्रचूड़ ने कहा, “पिछले सदियों में सभ्यताओं को नदी के किनारे बसते हुए देखा है जहां लोगों ने पहले से मौजूद संरचनाओं पर निर्माण किया है। लेकिन साबित करें कि कथित खंडहर या ध्वस्त इमारत (जिस पर बाबरी मस्जिद बनाई गई थी) प्रकृति में धार्मिक थी…”
रामलला विराजमान की तरफ से कहा गया कि विवादित स्थल की खुदाई से मिले पुरातात्विक अवशेष से साफ पता चलता है कि ये किसी उत्तर भारतीय मंदिरों के स्थापत्य शैली वाले ही हैं। मस्जिद का निर्माण पौराणिक, ऐतिहासिक इमारत के ऊपर सीधे किया गया। पुरातत्व विभाग ने पाया कि विवादित स्थल पर मस्जिद राम जन्मभूमि के ढांचे के ऊपर की गई। बड़े पैमाने पर विशेषज्ञों की निगरानी में राम जन्मभूमि पर पुरातत्व विभाग ने खुदाई की और यह भी स्पष्ट कर दिया कि कौन से पत्थर किस सदी के हैं। विराजमान के वकील सीके वैद्यनाथन ने कहा कि ऐसे ही तथ्यों के आधार पर हाई कोर्ट ने निष्कर्ष निकाला था कि राम जन्मभूमि पर मस्जिद का निर्माण किया गया।
रामलाल विराजमान ने कहा कि पुरातत्व की रिपोर्ट के मुताबिक 17 कतारें थी और हरेक कतार 5 खंभों पर टिकी हुई थी। इस रिपोर्ट में इतनी सामग्री है जिससे साफ होता कि मस्जिद का निर्माण धार्मिक नहीं कुदृष्टि से दूसरे धर्म को कुचलने के लिए किया गया था। बड़ा ढांचा था विवादित मस्जिद के नीचे। 2003 में दो खंडों में दाखिल की गई पुरातत्व कि रिपोर्ट में सभी विशेषज्ञों ने विवादित स्थल पर मस्जिद की मौजूदगी से पहले उसके नीचे मौजूद ढांचे होने का तथ्य दिया जिसमें पूरा ढांचे के दीवार दर दीवार और खंभों का जिक्र किया गया।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि चिड़िया, खंभे कहां स्पष्ट करते हैं कि कोई धार्मिक ढांचा था। इस पर रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि बहुत सी सामग्री इस निष्कर्ष पर पहुंचाती हैं जो विशेषज्ञों ने रिपोर्ट में स्पष्ट किया।
रामलला विराजमान के वकील ने पीठ को बताया कि एएसआई की रिपोर्ट के बाद वह गवाहों के बयान अदालत में रखेंगे।..उसके बाद उनकी बहस पूरी हो जाएगी।…रामलला विराजमान के वकील ने कहा कि चार घंटे लग सकते हैं।
मामले की सुनवाई आगामी सोमवार को जारी रहेगी और रामलला विराजमान के वकील अपनी दलीलें रखेंगे।
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