मथुरा। श्रीकृष्ण जन्मस्थान परिसर से शाही ईदगाह हटाने को लेकर दाखिल याचिका को सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत ने बुधवार को खारिज कर दिया। इससे पहले आज ही वादी पक्ष के विष्णु जैन, हरीशंकर जैन और रंजना अग्निहोत्री ने अदालत में अपना पक्ष रखा। मामले में दायर वाद पर सुनवाई पूरी करने के बाद जज ने सायंकाल 4 बजे अपना फैसला सुनाया।

अदालत में वादी पक्ष की ओर से वरिष्ठ वकील हरीशंकर जैन और अधिवक्ता विष्‍णु शंकर जैन ने बाहरी व्यक्तियों की तरफ से मसले पर याचिका दाखिल किए जाने से संबंधित सवाल पर अदालत को आईपीसी की धारा 16 और 20 का हवाला दिया था। उन्होंने कहा कि हर भारतीय नागरिक का यह अधिकार है कि वह कहीं भी किसी भी जिले में अपनी फरियाद कर सकता है।

1968 के समझौते को बताया था गलत

गौरतलब है कि बीते 26 सितंबर को मथुरा में श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ भूमि के स्वामित्व और शाही ईदगाह को हटाने को मांग को लेकर सिविल जज सीनियर डिवीजन की अदालत में वाद दायर किया गया था। याचिका में जमीन को लेकर 1968 में हुए समझौते को गलत बताया गया था। हालांकि इस याचिका को लेकर श्रीकृष्ण जन्मस्थान संस्थान ट्रस्ट का कहना है कि इस मामले से उसका कोई लेना-देना नहीं है।

इन्होंने दाखिल किया था मुकदमा

यह मुकदमा भगवान श्रीकृष्ण विराजमान कटरा केशव देव खेवट, मौजा मथुरा बाजार शहर की ओर से उनकी अंतरंग सखी के रूप में अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री, विष्णु शंकर जैन, हरिशंकर जैन और तीन अन्य ने दाखिल किया था। याचिका में कहा गया था कि मुसलमानों की मदद से शाही ईदगाह ट्रस्ट ने श्रीकृष्ण जन्मभूमि पर कब्जा कर लिया और ईश्वर के स्थान पर एक ढांचे का निर्माण कर दिया। भगवान विष्णु के आठवें अवतार श्रीकृष्ण का जन्मस्थान उसी ढांचे के नीचे स्थित है।

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