नई दिल्ली, 12 दिसम्बर। ब्रिटिश विशेषज्ञों ने एक ऐसी तस्वीर पेश की है जिसमें एक व्यक्ति का चेहरा नेताजी सुभाष चंद्र बोस से काफी मिलता-जुलता पाया गया है। यह तस्वीर प्रधानमंत्री लालबहादुर शास्त्री के ताशकंद दौरे के समय की बताई जा रही है। तस्वीर में लाल बहादुर शास्त्री के पीछे खड़े एक व्यक्ति का चेहरा काफी हद तक नेताजी से मिलता-जुलता पाया गया है। हालांकि, तस्वीर में दिखाई देने वाला व्यक्ति नेताजी ही है इसकी पूरी तरह से पुष्टि नहीं हो पाई है।
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक नेताजी के विषय से जुड़े शोधकर्ताओं ने ब्रिटिश विशेषज्ञों द्वारा चेहरा पहचानने और इसका अनुमान लगाने वाली फेस मैपिंग का इस्तेमाल कर इस तस्वीर को सबूत के तौर पर पेश किया है। शोधकर्ताओं ने पीएम मोदी से अनुरोध किया है कि वह अपने आगामी रूस दौरे के समय राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन पर नेताजी से जुड़े तथ्य उजागर करने के लिए दबाव बनाएं। पीएम मोदी अगले महीने रूस की यात्रा करेंगे।
पीएम मोदी इसी महीने रूस के दौरे पर जाएंगे। इस मामले में ब्रिटेन की उच्च न्यायालयों औरर अंतराष्ट्रीय कोर्ट ऑफ जस्टिस में राय देने वाले नील मिलर का कहना है कि ताशकंद में शास्त्री के साथ दिखने वाले रहस्यमय व्यक्ति के फेस मैपिग से पुख्ता होता है कि बोस और यह व्यक्ति एक ही है। शास्त्री ने 1966 में ताशकंद की यात्रा की थी। यहां पर पाकिस्तान के साथ ताशकंद समझौता हुआ था।
शास्त्री के परिवारवालों ने भी दावा किया था कि ताशकंद दौरे के दौरान शायद उनकी बात नेताजी से हुई हो। फेस मैपिंग का नतीजा भी इस बात को पुख्ता करता है। शास्त्री के पोते संजयनाथ सिंह का कहना है कि मृत घोषित किए जाने से एक घंटे पहले ही उन्होंने किसी से बात की थी। उन्होंने कहा था कि भारत जाकर वे ऐसी चीज का खुलासा करेंगे जिससे विपक्षी दल सब भूल जाएंगे। अगर यह तस्वीर सच में नेताजी की ही है तो इससे दो बातें साबित होती हैं, एक तो 1945 में नेताजी की मौत नहीं हुई थी और दूसरी स्टालिन के मरवाने की बात भी गलत साबित होती है।