नयी दिल्ली। मेडिकल काउंसिल आॅफ इण्डिया यानि एमसीआई ने शनिवार को स्पष्ट किया है कि यदि डाॅक्टर्स ने केवल जेनेरिक दवाओं की अनुशंसा करने के दिशानिर्देश का पालन नहीं किया तो उन पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी। देश के शीर्ष चिकित्सा नियामक द्वारा डाॅक्टरों को यह चेतावनी प्रधानमंत्री के चिकित्सकों द्वारा कम कीमत की दवाओं की अनुशंसा करने को लेकर कानून बनाए जाने की बात कहने के बाद आयी है।
स्पष्ट तौर पर बड़े अक्षरों में होना चाहिए दवाओं की अनुशंसा
एमसीआई ने शुक्रवार को चिकित्सकों को फिर से कहा था कि पर्ची स्पष्ट अक्षरों में और मुख्य तौर पर बड़े अक्षरों में होना चाहिए और दवाओं के प्रयोग में ‘तर्कसंगतता’होनी चाहिए और ऐसा नहीं होने पर ‘कड़ी अनुशासनिक कार्रवाई’की जाएगी। एमसीआई ने चिकित्सकों से कहा है कि इसके 2016 की अधिसूचना का पालन करें जिसमें इसने भारतीय चिकित्सा परिषद् (पेशेवर व्यवहार, शिष्टता और नैतिकता) विनियमन 2002 की धारा 1 . 5 में इस सिलसिले में संशोधन किया गया है।
बता दें कि हाल के समय में सूरत में एक मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल का उद्घाटन करते हुए पीएम मोदी ने कहा था कि चिकित्सक इस तरह से पर्ची लिखते हैं कि गरीब लोग उनकी लेखनी समझ नहीं पाते और वे ऊंचे दामों पर निजी दुकानों से दवाएं खरीदते हैं।
MCI issued notice to physicians to prescribe drugs only by generic names, warned of action if they fail to adhere to its guidelines. pic.twitter.com/JTrWVQbkSA
— ANI (@ANI) April 22, 2017
एमसीआई द्वारा जारी सर्कुलर में कहा गया है कि ‘एमसीआई अधिनियम के तहत पंजीकृत सभी चिकित्सकों को निर्देश दिया जाता है कि विनियमन के उपयुक्त प्रावधानों का अनिवार्य रूप से पालन करें।’ यह सर्कुलर मेडिकल कॉलेजों के सभी डीन, प्रिंसिपल, अस्पतालों के निदेशकों और सभी राज्य चिकित्सा परिषद् के अध्यक्षों को जारी किया गया है।
सरकार भी 2015 के आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची को संशोधित कर रही है ताकि अधिक दवाओं को इसमें शामिल किया जा सके। जन औषधि कार्यक्रम का भी विस्तार किया जा रहा है जिसके तहत सरकार उचित दर पर आवश्यक दवाएं मुहैया कराती है।
एजेन्सी