यहां एक सभा को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा, ‘जब भी भाजपा की कोई सरकार सत्ता में होती है, झूठे लोगों का एक समूह दुर्भावनापूर्ण प्रचार करता है कि हम आरक्षण को खत्म करने वाले हैं….अटल बिहारी वाजेपयी की सरकार के दौरान भी यही हुआ था।’
मोदी ने कहा, ‘झूठी बातें बंद होनी चाहिए। समाज में आतंक पैदा करने का काम बंद होना चाहिए। यह राजनीति नहीं है।’ प्रधानमंत्री ने यह बात ऐसे समय में कही है जब सोमवार को बिहार विधानसभा के पहले चरण का चुनाव होने वाला है। पिछले दिनों राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने मौजूदा आरक्षण व्यवस्था की समीक्षा की बात कही थी। इसके बाद से नीतीश कुमार-लालू प्रसाद-कांग्रेस के ‘महागठबंधन’ ने बिहार विधानसभा चुनावों में इसे बड़ा मुद्दा बना दिया है।
नीतीश और लालू ने भागवत के बयान का कड़ा विरोध करते हुए दावा किया था कि पिछड़े वर्गों और कमजोर तबकों को दिए जा रहे मौजूदा आरक्षण को खत्म करने की कोशिशें की जा रही हैं। एमएमआरडीए मैदान में अपने 45 मिनट के भाषण में मोदी ने कहा, ‘जब भी चुनाव होने वाले होते हैं तो अफवाह फैलाने का यह काम शुरू हो जाता है।’
मोदी ने कहा, ‘जब भी चुनाव नजदीक आते हैं, विपक्ष आरक्षण पर बहस शुरू कर देता है।’ उन्होंने इस बात से इनकार किया कि आरक्षण नीति पर कोई पुनर्विचार किया जाएगा। उन्होंने कहा, ‘यह ऐसी चीज है जो बाबासाहेब अंबेडकर ने हमें दी है और कोई भी ताकत इसे छीन नहीं सकती।’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘मैंने गरीबी देखी है। मैंने इसे जिया है। समाज के वंचित तबकों के उत्थान के लिए काफी कुछ किया जाना बाकी है, उनकी बेहतरी के लिए बाबासाहेब प्रतिबद्ध थे।’ मुंबई में अंबेडकर स्मारक की आधारशिला रखने के बाद मोदी ने कहा कि उनकी सरकार ने भारतीय संविधान के रचयिता के जीवन से जुड़े पांच महत्वपूर्ण स्थानों को विकसित करने की परियोजना शुरू की है, जिनका नाम ‘पांच तीर्थ’ दिया जाएगा। ये ऐसी जगहें होंगी जहां लाखों लोग आएंगे और अंबेडकर को श्रद्धांजलि देंगे।
इंदु मिल के अलावा और जिन स्थानों को विकसित किया जाएगा, उनमें मध्य प्रदेश के मउ स्थित अंबेडकर का जन्म-स्थान, दिल्ली में अलीपुर रोड स्थित अंबेडकर का आवास, तटीय महाराष्ट्र में उनका पैतृक गांव और लंदन स्थित वह घर शामिल है जिसमें उन्होंने कुछ साल बिताए थे।
अंबेडकर को ‘महापुरूष’ करार देते हुए मोदी ने कहा कि उन्होंने जीवन में बहुत सारी चुनौतियों का सामना किया लेकिन कभी भी बैर-भाव नहीं रखा और न उनमें कभी बदले की भावना रही। मोदी ने कहा, ‘यदि अंबेडकर नहीं होते तो यह मोदी कहां होता।’ राष्ट्र की सेवा में अंबेडकर के योगदान को याद करते हुए प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि 26 नवंबर को ‘संविधान दिवस’ के रूप में मनाया जाएगा। गौरतलब है कि 26 नवंबर 1949 को ही भारत का संविधान स्वीकार किया गया था।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘यदि दीर्घकालिक सोच के अभाव में हम यह कहें कि अंबेडकर का संबंध दलितों से है, तो यह उनके साथ अन्याय होगा। वह हर किसी से जुड़े हुए हैं।’ मोदी ने कहा, ‘मैं राजनीति में नहीं पड़ना चाहता, लेकिन यह सच है कि हमें संविधान देने वाले अंबेडकर की प्रतिमा संसद में तभी लग सकी जब एक भाजपा समर्थित सरकार सत्ता में आई।’ प्रधानमंत्री ने अंबेडकर को देश के सर्वोच्च सम्मान ‘भारत रत्न’ से सम्मानित करने में हुई देरी की भी निंदा की।
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