नई दिल्ली। जम्मू के नगरोटा में मारे गए चारों आतंकवादी 12 साल पहले मुंबई में हुए 26/11 जैसे बड़े हमले की तैयारी में थे। इसको लेकर अहम खुलासा हुआ है। मुठभेड़ में ढेर हुए आतंकियों के पास से जो चीजें बरामद हुई हैं उसने पाकिस्तान की पोल-पट्टी खोल दी है। इस बात के पुख्ता सुबूत मिले हैं कि जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े ये आतंकवादी पाकिस्तान में बैठे अपने आकाओं से लगातार संपर्क में थे।
आतंकवादियों के पास से पाकिस्तान की एक कंपनी का डिजिटल मोबाइल रेडियो (डीएमआर) बरामद हुआ है। पाकिस्तान में बैठे आकाओं से आतंकवादियों की क्या बात हो रही थी, ये इस मोबाइल रेडियो के मैसेज में मिला है। जांच एजेंसी को शक है कि यह मैसेज पाकिस्तान के शकरदढ़ से भेजा गया। खुफिया सूत्रों के मुताबिक, डिजिटल मोबाइल रेडियो पाकिस्तानी कंपनी माइक्रो इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा निर्मित है। डिजिटल मोबाइल रेडियो पर मैसेज स्पष्ट रूप से दिखाते हैं कि घुसपैठ करने वाले आतंकवादी सीमा पार अपने आकाओं के साथ लगातार संपर्क में थे।
डिजिटल मोबाइल रेडियो में कोड वर्ड में सेव कुछ नंबर्स से ये आतंकवादी लगातार संपर्क में थे। P1 और P55 के नाम से सेव नंबरों से आतंकवादियों से लगातार लोकेशन का पता लगाया जा रहा था। इन दोनों नंबरों से आए अलग-अलग मेसेज में आतंकियों की खोज-खबर ली जा रही थी। कुछ मैसेज में– कहां पहुंचे? क्या सूरत-ए-हाल है? कोई मुश्किल तो नहीं?…जैसे संदेश मिले हैं। इन्हें आतंकवादियों की तरफ से रिप्लाई भी मिला, जिसमें- 2 बजे और बता देंगे जवाब भेजा गया।
इसके अलावा पाकिस्तान के खिलाफ जो अन्य सबूत है वह आतंकवादियों के जूते हैं। मारे गए आतंकवादियों ने जो जूते पहने थे वे कराची में बने थे। घटनास्थल पर एक वायरलेस सेट और एक जीपीएस डिवाइस भी बरामद हुआ। इसके अलावा पाकिस्तान में बनी बुखार उतारने की और दर्द निवारक दवाएं भी मिली हैं।
अंतरराष्ट्रीय सीमा पार करने और सांबा के दक्षिण में राष्ट्रीय राजमार्ग पर एक पूर्व निर्धारित बिंदु तक पहुंचने के बाद आतंकवादी घाटी की ओर बढ़ रहे थे। भारी संख्या में हथियारों और गोला-बारूद की बरामदगी से स्पष्ट है कि वे घाटी में बड़े हमले के इरादे से आए थे।
सूत्रों का कहना है कि ये चारों आतंकवादी सांबा सेक्टर के पास नाले को पार करके भारत मेंदाखिल हुए। उन्होंने अंधेरे का फायदा उठाते हुए सीमा को पार किया।
गौरतलब है कि 5 अगस्त 2 019 को जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। वह कश्मीर में अशांति फैलाने की कोशिश में है। तब से वह आतंकवादियों के जरिए नेताओं और नागरिकों जैसे सॉफ्ट टारगेट पर हमला करा रहा है जो उसकी हताशा को दिखाता है।
खुफिया इनपुट्स से संकेत मिलते हैं कि जम्मू-कश्मीर में होने वाले जिला विकास परिषदों (डीडीसी) के चुनाव ने भी आतंकवादियों और पाकिस्तान को परेशान किया है। चुनावों से पहले ही नामांकन और जनता की भागीदारी बड़े पैमाने पर देखी गई। इससे बौखलाए आतंकवादियों के आका कश्मीर घाटी में लोकतांत्रिक प्रक्रिया को हर हाल में नाकाम करना चाहते हैं।
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