नयी दिल्ली। समाजवादी पार्टी द्वारा राज्यसभा नहीं भेजे जाने से नाराज नरेश अग्रवाल ने साइकिल से उतरकर कमलासनी हो गये हैं। आज यहां भाजपा मुख्यालय में केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल की मौजूदगी में नरेश अग्रवाल ने पार्टी की सदस्यता ग्रहण कर ली। हालांकि राजनीतिक हलकों में इस बात की चर्चा पिछले काफी समय से थी। दरअसल, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव ने यूपी से सपा का राज्यसभा उम्मीदवार जया बच्चन को बनाने की घोषणा की थी। इसके बाद से नरेश अग्रवाल ने समाजवादी पार्टी से आंखे तरेर लीं और बीजेपी की तरफ उनका रुझान दिखने लगा था।
नरेश अग्रवाल ने मीडिया को बताया कि जया बच्चन की वजह से उनका राज्यसभा का टिकट कटा है। हालांकि उन्होंने बीजेपी में शामिल होने की किसी ’शर्त’ की खबरों और बीजेपी से राज्यसभा जाने के सवाल को को खारिज कर दिया। दरअसल अग्रवाल को अखिलेश से इस बात की बिलकुल भी उम्मीद नहीं थी कि उनका राज्यसभा का टिकट कटेगा। टिकट कटने पर उन्होंने सपा की धुर विरोधी पार्टी का दमान थाम लिया। बता दें कि जोड़-तोड़ की राजनीति के माहिर खिलाड़ी नरेश अग्रवाल की पैठ सूबे के सभी राजनीतिक दलों में है। यही वजह है कि अक्सर उनके बारे में पार्टी बदलने की खबर आती रहती है।
बीजेपी में शामिल होने के बाद नरेश अग्रवाल ने मीडिया से बातचीत करते हुए कहा, ’फिल्म में काम करने वाली से मेरी हैसीयत कर दी गई। उनके नाम पर हमारा टिकट कट गया। मैंने इसको भी बहुत उचित नहीं समझा। मैं कोई शर्त पर नहीं आया हूं। कोई राज्यसभा की टिकट की मांग नहीं है।’
गौरतलब है कि समाजवादी पार्टी के छह राज्यसभा सांसद (किरणमय नंदा, दर्शन सिंह यादव, नरेश अग्रवाल, जया बच्चन, मुनव्वर सलीम और आलोक तिवारी) इस साल रिटायर हो रहे हैं। विधानसभा की ताजा स्थिति में सपा के पास सिर्फ 47 वोट हैं। अखिलेश यादव सिर्फ एक नेता को ही संसद भेज सकते हैं। सपा ने इनमें से सिर्फ जया बच्चन को राज्यसभा में भेजने का फैसला किया। सपा अपने 9 अतिरिक्त वोट पार्टी गठबंधन के तहत बीएसपी उम्मीदवार को देगी।
इस बारे में जब मीडिया ने जया बच्चन से पूछा था तो उन्होंने भी कहा था कि पार्टी ने मुझ पर भरोसा दिखाया इसके लिए मैं बहुत खुश हूं और पूरी कोशिश करूंगी कि उम्मीदों पर खरी उतरूं। जब उनसे यह पूछा गया कि क्या आपकी जगह किसी वरिष्ठ को नहीं भेजना चाहिए था तो वे मजाक में यह कहते हुए टाल गई थीं कि ’क्या मैं वरिष्ठ नहीं हूं’।
नरेश अग्रवाल की नाराजगी की सबसे बड़ी वजह यह है कि पिछले काफी समय वे राष्ट्रीय राजनीति में सपा के प्रमुख चेहरे रहे हैं. यही नहीं वो राज्यसभा में सबसे ज्यादा मुखर रहे हैं और पार्टी की रीतियों-नीतियों को केंद्रीय स्तर पर उठाते रहे हैं। समाजवादी पार्टी में जब अखिलेश बनाम मुलायम की जंग छिड़ी हुई थी तब नरेश अग्रवाल ने खुलकर अखिलेश यादव का साथ दिया था। लेकिन इसके बावजूद पार्टी ने जया बच्चन को राज्यसभा भेजने का फैसला किया और उनका पत्ता काट दिया गया।
68 साल के नरेश अग्रवाल मूलतः हरदोई के रहने वाले हैं। वह 1980 में पहली बार कांग्रेस के विधायक चुने गए। इसके बाद 1989 से 2008 तक लगातार यूपी विधानसभा के सदस्य रहे। 1997 में कांग्रेस पार्टी को तोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस पार्टी का गठन किया था। 1997 से 2001 तक वो यूपी सरकार में ऊर्जा मंत्री रहे। 2003 से 2004 तक पर्यटन मंत्री रहे। 2004 से 2007 तक उन्होंने यूपी के परिवहन मंत्री का कार्यभार संभाला। बाद में वे राज्यसभा के लिए चुने गए और संसद की कई कमेटियों में महत्वपूर्ण पदों पर रहे। उनके परिवार में पत्नी, एक बेटा और एक बेटी है। उनके बेटे नितिन अग्रवाल अखिलेश सरकार में मंत्री रह चुके हैं और वर्तमान में हरदोई से सपा के विधायक हैं।
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