मुजफ्फरनगर। दिल्ली में ट्रैक्टर रैली (परेड) में हुई हिंसा के बाद किसान संगठनों में बिखराव साफ नजर आ रहा है। चार किसान संगठन आंदोलन से अलग हो चुके हैं तो भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) में भी असमंजस की स्थिति है। भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत धरना जारी रखने पर अड़े हैं तो उनके भाई और भाकियू अध्यक्ष नरेश टिकैत का रुख हैरान करने वाला है। नरेश टिकैत ने गुरुवार को दो अलग-अलग और एक-दूसरे के बिल्कुल विपरीत बयान दिए। पहले कहा कि हम गाजीपुर बॉर्डर से धरना उठाएंगे लेकिन बाद में अपने गांव सिसौली में किसान महापंचायत बुलाने का ऐलान कर दिया।
आपको याद होगा कि नरेश टिकैत ने गुरुवार दिन में कहा कि कृषि कानून के विरोध में दिल्ली के गाजीपुर बॉर्डर पर करीब दो महीने से चल रहा धरना उठा लिया जाएगा। उन्होंने कहा कि भाकियू का मुखिया होने के नाते वहां धरनारत किसानों से बात की गई है। जनता भी यही चाहती है। दो दिन में आगे की रणनीति तय होगी। मुजफ्फरनगर में भारतीय किसान यूनियन के प्रमुख नरेश टिकैत के आह्वान पर गुरुवार को पंचायत बुलाई गई। पंचायत के दो घंटे बाद फिर इमरजेंसी पंचायत बुलाई गई। इस दौरान नरेश टिकैत ने बड़ा बयान देते हुये कहा कल (शुक्रवार) मुजफ्फरनगर में जीआईसी मैदान में महापंचायत होगी। इसमें सभी किसानों को 11 बजे तक पहुंचने के लिए कहा गया है। उन्होंने कहा, “कल स्थिति बिगड़े या चाहे कुछ हो किसानों का कोई मतलब नहीं।” नरेश टिकैत ने आगे कहा कि अब रात में गाजीपुर बॉर्डर पर कुछ भी होता है तो इसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।
इससे पहले दोपहर में चौधरी नरेश टिकैत ने सिसौली में ही आयोजित किसान पंचायत में कहा कि किसानों को बदनाम करने और आंदोलन को खत्म करने की साजिश रची गई है। किसान चुप नहीं बैठेगा। टिकैत ने कहा कि शासन-प्रशासन कान खोलकर सुन ले, गलत बात बर्दाश्त नहीं करेंगे और नाक में नकेल डाल देंगे। वर्ष 2022 के चुनाव में जवाब देंगे।
नरेश टिकैत ने कहा कि भाजपा की सरकार को आंदोलन खत्म करने के लिए रास्ता नहीं मिल रहा था। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अपने आदमी आंदोलनकारियों में शामिल कर हिंसा कराई और किसानों और जवानों को भिड़वा दिया। किसान पर जो कलंक लगाया जा रहा है, इसका जवाब भी अन्नदाता देगा। भाकियू कार्यकर्ता लाठी-डंडे चला सकता है, बेरिकेडिंग तोड़ सकता है लेकिन तिरंगे का अपमान नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि किसानों पर मुकदमे दर्ज किए गए हैं, इससे डरने या भागने की जरूरत नहीं है। भाजपा ने हमें बहकाया और वह सत्ता तक पहुंच गई। सरकार ने लालकिले की रक्षा क्यों नहीं की।
पंचायत में किसानों ने कहा कि केंद्रीय राज्यमंत्री डा. संजीव बालियान दो माह मौन रहे। अब किसानों से वापस आने की अपील कर रहे हैं। कई किसानों ने कहा कि उनका क्षेत्र में आने पर विरोध करेंगे। यदि वह किसान के साथ हैं तो भाजपा से इस्तीफा दें। इस पर चौधरी नरेश टिकैत ने कहा कि सांसद ऐसा क्यों करेंगे। यदि उन्होंने ऐसा किया तो उनकी भी संपत्ति की जांच शुरू हो जाएगी।
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