आकाशवाणी पर प्रसारित ‘मन की बात’ कार्यक्रम में अपने 15 मिनट के संबोधन में प्रधानमंत्री ने अच्छे मानसून से बेहतर फसल की संभावना पर किसान भाईयों को बधाई दी, साथ ही कारगिल विजय दिवस पर जवानों को श्रद्धांजलि दी ।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता से सुझाव मांगे कि उन्हें इस स्वतंत्रता दिवस पर क्या बोलना चाहिए । प्रधानमंत्री ने शौचालय को रक्षा बंधन पर बहन के लिए तोहफे की पहल का भी जिक्र किया और इसरो द्वारा ब्रिटेन के पांच उपग्रहांे को सफलतापूर्वक प्रक्षेपित किये जाने और पूर्वोत्तर से जुड़े विषयों की भी चर्चा की।
उन्होंने विभिन्न सामाजिक मुद्दों का जिक्र किया हालांकि उन्होंने विपक्ष की सुषमा, राजे और शिवराज सिंह चौहान के इस्तीफे की मांग पर संसद में जारी गतिरोध एवं अन्य राजनीतिक विषयों पर कुछ नहीं कहा ।
उन्होंने कहा कि अभी दो दिन पहले, दिल्ली की एक दुर्घटना के दृश्य पर मेरी नजर पड़ी। और दुर्घटना के बाद वो स्कूटर चालक 10 मिनट तक तड़पता रहा। उसे कोई मदद नहीं मिली। वैसे भी मैंने देखा है कि मुझे कई लोग लगातार इस बात पर लिखते रहते हैं कि मैं सड़क सुरक्षा पर कुछ बोलूं । लोगों को सचेत करूं।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ सरकार ने इन सारी बातों को ध्यान में रखते हुए कई पहल की है। हम सड़क परिवहन और सुरक्षा विधेयक लाने जा रहे हैं। आने वाले दिनों में राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा नीति और राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा कार्ययोजना को लागू करने की दिशा में भी हम कई महत्वपूर्ण कदम उठाने के लिए सोच रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, और उसका अर्थ है कि पहले 50 घंटे- पैसे हैं कि नहीं, पैसे कौन देगा, कौन नहीं देगा, ये सारी चिंता छोड़कर- एक बार सड़क दुर्घटना में जो घायल है, उसको उत्तम से उत्तम सेवा कैसे मिले, उसको हम प्राथमिकता दे रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि देशभर में हादसों के संबंध में जानकारी देने के लिए टोल-फ्री 1033 नंबर, एम्बुलेंस की व्यवस्था, ये सारी बातें लेकिन ये सारी चीजें दुर्घटना के बाद की हैं। दुर्घटना न हो इसके लिए उपाय करना होगा। सचमुच में एक-एक जान बहुत प्यारी होती है, एक-एक जीवन बहुत प्यारा होता है, उस रूप में उसको देखने की आवश्यकता है।
मोदी ने कहा कि हमारे देश में हर मिनट एक दुर्घटना होती है। दुर्घटना के कारण, सड़क दुर्घटना के कारण, हर 4 मिनट में एक मृत्यु होती है। और सबसे बड़ी चिंता का विषय ये भी है, करीब करीब एक तिहाई मरने वालों में 15 से 25 साल की उम्र के नौजवान होते हैं और एक मृत्यु पूरे परिवार को हिला देती है। शासन को तो जो काम करने चाहिये वो करने ही चाहिए, लेकिन मैं मां -बाप से गुजारिश करता हूं, अपने बच्चों को – चाहे दो पहिया चलाते हों या चार पहिया चलाते हों – सेफ्टी की जितनी बातें है, उस पर जरूर ध्यान देने का माहौल परिवार में भी बढाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि वह कोई उपदेश नहीं देना चाहते है और न ही राज्य सरकार, केंद्र सरकार या स्थानीय स्वराज की संस्थाओं की इकाइयों की जिम्मेवारियों से बचने का रास्ता खोज रहे हैं। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री ने बेंगलुरु के अक्षय, पुणे के अमेय जोशी, कर्नाटक के प्रसन्ना काकुंजे के सुझावों का भी जिक्र किया।
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