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नई चेतावनी : चेचक की तरह तेजी से फैल सकता है कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट

नई दिल्ली। कोरोना वायरस का डेल्टा वैरिएंट चेचक (Chicken pox) की तरह लोगों में तेजी से फैल सकता है। अमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC, सीडीसी) के अध्ययन (Study) में यह डराने वाला खुलासा हुआ है। हालांकि यह आंतरिक दस्तावेज अभी प्रकाशित नहीं हुआ है लेकिन न्यूयॉर्क टाइम्स में इसका एक डॉक्युमेंट छपा है। यह डॉक्युमेंट साफ तौर पर बताता है कि है कोरोना वायरस के दूसरे वैरिएंट्स की तुलना में डेल्टा वैरिएंट ज्यादा संक्रामक है।

सबसे ज्यादा चिंताजनक बात यह है कि कोरोना वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोग भी वैक्सीन न लगवाने वालों की तरह ही डेल्टा वैरिएंट को फैला सकते हैं। सीडीसी के डायरेक्टर डॉ. रोशेल पी वालेंस्की ने बताया कि वैक्सीनेशन करा चुके लोगों की नाक और गले में उतना ही वायरस होता है जितना कि टीकाकरण न कराने वालों में। इस कारण यह आसानी से फैल जाता है।

गंभीर रूप से बीमार होने से 90% तक बचाती है वैक्सीन

हालांकि इस डॉक्युमेंट में बताया गया है कि वैक्सीन की दोनों डोज लगवा चुके लोग सुरक्षित हैं। वैक्सीन गंभीर रूप से बीमार होने से 90% तक बचाती है, लेकिन इससे वायरस के संक्रमण और ट्रांसमिशन से बचाव कम होता है। यही वजह है कि वैक्सीनेशन के बाद भी लोग कोरोना के डेल्टा वैरिएंट से संक्रमित हुए।

डेल्टा वैरिएंट में वायरस की संख्या हजार गुना ज्यादा

डॉक्युमेंट में बताया गया है कि डेल्टा वैरिएंट हवा में जितनी तेजी से वायरस फैलाता है, वह अल्फा की तुलना में 10 गुना अधिक है। डेल्टा से संक्रमित व्यक्ति में वायरस की मात्रा वायरस के मूल संस्करण से संक्रमित लोगों की तुलना में एक हजार गुना अधिक है। डेल्टा उन वायरस की तुलना में तेजी से फैलता है जिनसे एमईआरएस, सार्स, इबोला, सामान्य सर्दी, मौसमी फ्लू होता है। यह चेचक की तरह ही संक्रामक है।

गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है डेल्टा

डेल्टा वैरिएंट का पहला मामला भारत में मिला था। इसे B.1.617.2 के रूप में जाना जाता है। यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। डेल्टा पर हुई इस स्टडी ने सीडीसी वैज्ञानिकों को अलर्ट कर दिया है। अधिकारी ने कहा कि सीडीसी इसे लेकर चिंतित है। डेल्टा गंभीर खतरा है और इस पर एक्शन लेने की जरूरत है। सीडीसी ने 24 जुलाई तक के आंकड़े जुटाए हैं। वैक्सीनेशन करा चुके 162 मिलियन अमेरिकियों में हर हफ्ते करीब 35 हजार सिम्प्टोमेटिक इन्फेक्शन मिले।

 
gajendra tripathi

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