नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शुक्रवार को राज्यसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देते हुए कांग्रेस पर हमला बोला और कहा कि उन्हें नहीं लगता दामाद शब्द कांग्रेस का ट्रेड मार्क है। दामाद हर घर में होता है लेकिन कांग्रेस में यह एक विशेष नाम है। इससे पहले उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि विपक्ष में कुछ लोगों को हमारे ऊपर लगातार आरोप लगाने की आदत बन गई है। इसके बावजूद हम गरीबों के लिए काम कर रहे हैं। इस देश के गरीबों और जरूरतमंदों की मदद के लिए कदम उठाए जा रहे हैं। आरोप लगाने के लिए झूठे नेरेटिव बनाए जा रहे हैं। कहा जाता है कि ये सरकार केवल पूंजीपतियों के लिए काम कर रही है।

वित्त मंत्री ने बीती 1 फरवरी को लोकसभा में वित्त वर्ष 2021-22 का बजट पेश किया था। आमतौर पर वित्त मंत्री पहले लोकसभा में बजट पर चर्चा का जवाब देती हैं और उसके बाद राज्यसभा में लेकिन इस बार केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों पर विपक्ष के गतिरोध के कारण लोकसभा में चर्चा की शुरुआत राज्यसभा के बाद हुई।

 सीतारमण ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए इस दौरान कहा कि अगस्त 2016 से जनवरी 2020 तक यूपीआइ के माध्यम से डिजिटल लेनदेन की संख्या 3.6 लाख करोड़ से अधिक रही। यूपीआइ का उपयोग कौन करता है? धनी लोग?  नहीं, मध्यम वर्ग और छोटे व्यापारी। फिर ये लोग कौन हैं? क्या सरकार यूपीआइ पूंजीपतियों को फायदा पहुंचाने के लिए लेकर आई? या किसी दामाद के लिए? मुद्रा योजना के तहत  27,000 करोड़ रुपये से अधिक का लोन स्वीकृत किया। मुद्रा योजना कौन लेता है? दामाद?

राज्यसभा में बजट चर्चा पर जवाब देते कहा सीतारमण ने कहा कि पीएम आवास योजना के तहत 1.67 करोड़ से अधिक घर बनाए गए। क्या यह अमीर के लिए है? 17 अक्टूबर के बाद से प्रधानमंत्री सौभाग्य योजना के तहत 2.67 से अधिक घरों का विद्युतीकरण किया गया। सरकार के ई मार्केट पर रखे गए ऑर्डर का मूल्य 8,22,077 करोड़ रुपये है। क्या उन्हें बड़ी कंपनियों को दिया जा रहा है? उन्हें एमएसएमइ को दिया जा रहा है।

सीतारमण ने अपनी भाषण के शुरुआत में कहा कि यह एक ऐसा बजट है जो स्पष्ट रूप से अनुभव, प्रशासनिक क्षमताओं और प्रधानमंत्री के लंबे निर्वाचित कार्यकाल के एक्सपोजर को दर्शाता है। इस देश के सीएम और पीएम के तौर पर उन्हें विकास, प्रगति और सुधारों के लिए अपनी प्रतिबद्धता के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा कि 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न उपलब्ध कराया गया। आठ करोड़ लोगों को मुफ्त में रसोई गैस उपलब्ध कराई गई थी और 40 करोड़ लोगों, किसानों, महिलाओं, दिव्यांग, गरीबों और जरूरतमंदों को सीधे नकद राशि दी गई।

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