नई दिल्‍ली। Rahul Gandhi Press Conference : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा आत्मनिर्भर भारत योजना के अंतर्गत घोषित किए गए पैकेज को लेकर राहुल गांधी ने शनिवार को सरकार पर सीधा हमला बोला। सरकार द्वारा जारी 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज पर सवाल खड़े किए। कहा, “इस वक्‍त लोगों के हाथ में पैसा होना चाहिए।” कांग्रेस नेता ने कहा, “मैं विनती करता हूं कि नरेंद्र मोदी जी को पैकेज पर पुनर्विचार करना चाहिए। किसानों और मजदूरों को सीधे पैसे देने के बारे में सोचिए। डायरेक्‍ट कैश ट्रांसफर, मनरेगा के कार्य दिवस 200 दिन, किसानों को पैसा आदि के बारे में भी मोदी जी विचार करें क्योंकि ये सब हिंदुस्तान का भविष्य हैं।”

कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्‍यक्ष और सांसद राहुल गांधी ने लोकल मीडिया से बातचीत के दौरान ये बातें कहीं। इसकी स्‍ट्रीमिंग उनके यूट्यूब चैनल पर की गई। उन्होंने कहा, “सरकार को लॉकडाउन को समझदारी व सावधानी के साथ खोलने की जरूरत है। बुजुर्गों व गंभीर बीमारियों से ग्रसित लोगों का विशेष ध्यान रखा जाना चाहिए।”

राहुल गांधी ने कहा, “जब बच्चों को चोट पहुंचती है तो मां उनको कर्जा नहीं देती है, बल्कि राहत के लिए तुरंत मदद देती है। कर्ज का पैकेज नहीं होना चाहिए था, बल्कि किसानों, मजदूरों की जेब में तुरंत पैसे दिए जाने की आवश्यकता है।” राहुल ने कहा कि मांग को शुरू करने के लिए अगर हमने पैसा नहीं दिया तो बहुत बड़ा आर्थिक नुकसान होगा। उन्‍होंने कहा. “प्‍यार से बोल रहा हूं, इस पैकेज को सरकार रिकंसीडर करे।”

सबसे बड़ी जरूरत मांग और आपूर्ति को शुरू करने

कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस वक्‍त सबसे बड़ी जरूरत मांग और आपूर्ति (demand and supply) को शुरू करने की है। उन्‍होंने कहा, “आपको गाड़ी चलाने के लिए तेल की जरूरत होती है। जब तक आप कार्बोरेटर में तेल नहीं डालेंगे, गाड़ी स्‍टार्ट नहीं होगी। मुझे डर है कि जब इंजन शुरू होगा तो तेल ना होने की वजह से गाड़ी चलेगी ही नहीं।” उन्‍होंने केरल में कोरोना वायरस पर नियंत्रण की तारीफ की और कहा कि वह एक मॉडल स्‍टेट है और बाकी राज्‍य उससे सबक ले सकते हैं।

कांग्रेस सांसद ने कहा कि यह अंगुली उठाने का वक्‍त नहीं है। आज हिन्‍दुस्‍तान के सामने बड़ी समस्या है और हमें उसे दूर करना है। उन्‍होंने कहा, “ये लोग जो सड़कों पर चल रहे हैं, इनकी मदद हम सबको करनी है। भाजपा सरकार में है और उनके हाथ में सबसे ज्‍यादा औजार हैं तो उनकी ये जिम्‍मेदारी बनती है। हम सब मिलकर इससे लड़ेंगे। हम राज्‍यों में कोऑर्डिनेशन न होने की समस्या को दूर करना होगा।”

राहुल गांधी ने कहा कि कांग्रेस शासित राज्‍यों में मजदूरों को पूरी सहायता देने की कोशिश है। हम सीधे पैसा दे रहे हैं। मनरेगा के तहत रोजगार को दोगुना करने की कोशिश कर रहे हैं।

बहुत जबर्दस्‍त आर्थिक क्षति होने वाली है

राहुल गांधी ने मीडिया की तारीफ करते हुए कहा कि अगर उसने प्रवासी मजदूरों के संकट को ना दिखाया होता तो हम सरकार पर दबाव नहीं बना पाते। क्‍या सरकार से चूक हुई? इस सवाल पर राहुल ने कह, “अब इसका कोई मतलब नहीं हैं। मैं आपसे इसलिए बात कर रहा हूं ताकि सरकार पर दबाव डाल सकूं। बहुत जबर्दस्‍त आर्थिक क्षति होने वाली है।” उन्‍होंने कहा कि सरकार के लोग विपक्ष की बात अच्‍छी तरह से सुनेंगे तो हमारी बात मान लेंगे।

लॉकडाउन के चौथे चरण पर राहुल ने कहा, “मुझे यह दिख रहा है कि लॉकडाउन हुआ। अब हमें होशियारी से इससे निकलना है। ना हमें इकॉनॉमी को ढहने देना है, ना ही अपने बुजुर्गों को खोना है। हम ठीक से प्लानिंग करेंगे तो हम दोनों चीजों को संतुलित करके निकाल सकते हैं।”

गौरतलब है कि राहुल गांधी ने हाल ही में दो बड़े अर्थशास्त्रियों- रघुराम राजन और अभिजीत बैनर्जी से बातचीत की थी। इसका जिक्र आने पर उन्होंने कहा, “मैं पत्रकार नहीं बन रहा हूं। मैंने सोचा कि मेरी जो ऐसे लोगों से बातचीत होती है, उसकी एक झलक बाहर दिखा दूं।”

शहरों और गांवों के मजदूरो के लिए अलग-अलग योजनाएं हों

मनरेगा में किन बदलावों की जरूरत है, इस सवाल पर राहुल गांधी ने कहा कि शहर और गांवों के मजदूरो के लिए अलग-अलग योजनाएं होनी चाहिए। गांवों के लिए मनरेगा और शहरों के लिए न्‍याय योजना लागू होनी चाहिए।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेंद्रमोदी ने अपील की थी कि लोकल चीजों को प्रमोट करें। उसके बारे में मुखर होकर बात करें। इ सपर राहुल गांधी ने कहा कि “लोकल वोकल तभी होगा जब उसके पेट में भोजन होगा।”  उन्‍होंने कहा कि आज हमें कोरोना वायरस से लड़ना है।

error: Content is protected !!