pravaseनयी दिल्ली, 4 अगस्त। केंद्र सरकार ने आज कहा कि अवैध प्रवासियों को देश की नागरिकता प्रदान करने का कानून में कोई प्रावधान नहीं है लेकिन सरकार इस मामले पर मानवीय आधार पर अन्य देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों की मदद की दिशा में प्रयासरत है। लोकसभा में प्रश्नकाल के दौरान गृह राज्य मंत्री किरन रिजीजू ने सदस्यों के सवालों के जवाब में यह जानकारी दी।

भाजपा के एस एस अहलूवालिया और विजय चक्रवर्ती द्वारा किए गए सवालों के जवाब में मंत्री रिजीजू ने बताया कि भारत सरकार अन्य देशों में अपने धर्म को लेकर प्रताड़ना के शिकार होने वाले धार्मिक अल्पसंख्यकों की मदद के लिए काम कर रही है।

रिजीजू ने कहा, ”पाकिस्तान और अफगानिस्तान से वैध दस्तावेजों के साथ भारत आने वाले प्रवासियों के भारतीय नागरिकता पाने संबंधी आवेदनों पर कानून के तहत विचार किया जाता है लेकिन बांग्लादेश से बिना दस्तावेजों के लोगों के भारत आने के कई मामले सामने आए हैं। हालांकि अवैध प्रवासियों को देश की नागरिकता प्रदान करने का कोई कानूनी प्रावधान नहीं है लेकिन इस मामले को मानवीय आधार पर देखा जा रहा है।”

मंत्री ने कहा, “इस पूरे मामले से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने कई कदम उठाए हैं जिनमें नागरिकता और वीजा प्रदान करने की प्रक्रिया को आसान और त्वरित बनाया गया है। लेकिन अवैध प्रवासियों को नागरिकता देने का इस समय कोई प्रावधान नहीं है।”

उनकी इस बात पर अहलूवालिया ने कड़ा प्रतिवाद जताया जिस पर गृह राज्य मंत्री ने कहा कि अभी ऐसी कोई नीति नहीं होने के कारण वह इस संबंध में सदन में बयान देने में सक्षम नहीं हैं लेकिन ये सभी चीजें मंत्रालय के विचाराधीन हैं।

बीजद के भृतुहरि मेहताब द्वारा किए गए सवाल के जवाब में रिजीजू ने स्पष्ट किया कि भारत संयुक्त राष्ट्र प्रवास नीति का हस्ताक्षरकर्ता नहीं है इसलिए प्रवास नीति बनाना बहुत दूर की बात है।

एजेन्सी

By vandna

error: Content is protected !!