नई दिल्ली। लगातार कमजोर होती कोरोना की दूसरी लहर के बीच एक और राहत भरी खबर है। सरकार के मुताबिक, अब तक ऐसे कोई संकेत नहीं है कि कोरोना की तीसरी लहर का बच्चों पर गंभीर असर होगा। अब तक कहा जा रहा था कि इससे बच्चे ही सबसे ज्यादा प्रभावित होंगे। सरकार की ओर से यह भी कहा गया  है कि ब्लैक फंगस संक्रामक बीमारी नहीं है। इम्यूनिटी की कमी ही ब्लैक फंगस का कारण है। ये साइनस, राइनो ऑर्बिटल और दिमाग में असर करता है। ये छोटी आंत में भी देखा गया है। अलग-अलग रंगों से इसे पहचान देना गलत है।

देश में कोरोना की स्थिति पर सोमवार को आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में नई दिल्ली एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना की पहली और दूसरी लहर में देखा कि बच्चों में संक्रमण बहुत कम देखा गया है। इसलिए अब तक ऐसा नहीं लगता है कि तीसरी लहर में बच्चों में संक्रमण देखा जाएगा। कहा जा रहा है कि बच्चे सबसे ज्यादा संक्रमित होंगे लेकिन पेडियाट्रिक्स एसोसिएशन ने कहा है कि यह तथ्यों पर आधारित नहीं है। इसका कोई खास असर बच्चों पर नहीं पड़ेगा। इसलिए लोगों को डरना नहीं चाहिए।

2 सप्ताह में कम हुए 10 लाख एक्टिव केस

देश में पिछले 22 दिन से लगातार कोरोना के मामलों में कमी आ रही है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि रिकवरी रेट भी लगातार बढ़ रहा है। 3 मई को देश में रिकवरी रेट 81.7% था। अब यह 88.7% है। मंत्रालय के संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने बताया कि 2 सप्ताह में 10 लाख एक्टिव केस कम हुए हैं।

उन्होंने कहा कि पिछले 24 घंटे में देश में कोरोना के 2.22 लाख केस दर्ज किए गए हैं। 40 दिन में यह नए केस की सबसे कम संख्या हैं। जिला स्तर पर भी कोरोना के मामलों में कमी आ रही है।

ब्लैक फंगस और कोरोना का एक साथ इलाज करना चुनौती

ब्लैक फंगस पर डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि कोरोना संक्रमण के साथ ब्लैक फंगस के मामले सामने आ रहे हैं। ब्लैक फंगस का टइलाज लंबे समय तक चलता है। कई दफा सर्जरी भी करनी पड़ती है। कई लोग कोरोना पॉजिटिव भी होते हैं। इलाज के दौरान उनकी रिपोर्ट निगेटिव आ जाती है। ऐसे में हॉस्पिटल के सामने चुनौती है कि ऐसे मरीजों के लिए दो वार्ड बनाने पड़ रहे हैं।

उन्होंने बताया कि ब्लैक फंगस के कुछ ऐसे लक्षण हैं जैसे सिर दर्द, नाक बंद हो जाना, नाक से खून आना। अगर किसी में ये लक्षण हैं, तो डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए। लोगों में बहुत तनाव है। हर किसी के जानने वाले को कोरोना हुआ है। इसलिए जरूरी है कि सभी एक-दूसरे की मदद करें।

फंगस की रंग के बजाय नाम से पहचान करना बेहतर

डॉ. रणदीप गुलेरिया ने कहा कि ब्लैक फंगस का संक्रमण बहुत कम ही उन लोगों में देखा गया है, जिन्हें डायबिटीज नहीं है और जिन्हें स्टेरॉयड नहीं दिया गया है। ब्लैक फंगस बहुत आम है। हम तीसरे फंगल संक्रमण एस्ट्रैगलस के मामलों को भी देख रहे हैं। इसकी पहचान रंग की बजाय नाम से करना ज्यादा बेहतर है। फंगस का रंग शरीर के अलग-अलग हिस्सों में डेवलप होने की वजह से अलग हो सकता है। यह संक्रामक नहीं है। इसके कुछ लक्षण हैं जो कोरोना के बाद देखे जाते हैं। यदि लक्षण 4-12 सप्ताह तक देखे जाते हैं, तो इसे ऑन गोइंग सिम्प्टोमेटिक या पोस्ट-एक्यूट कोविड सिंड्रोम कहा जाता है। यदि लक्षण 12 सप्ताह से ज्यादा समय तक दिखाई देते हैं, तो इसे पोस्ट-कोविड सिंड्रोम कहा जाता है।

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