नई दिल्ली। आईपीएल के पूर्व प्रमुख ललित मोदी के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने की मांग वाली प्रवर्तन निदेशालय की याचिका पर मंगलवार को यहां धन शोधन रोकथाम मामलों की विशेष अदालत ने अपना आदेश सुरक्षित रखा था।
ईडी ने पिछले हफ्ते अदालत का दरवाजा खटखटाया था और ललित के खिलाफ गैर जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने की मांग की। ललित ने उन्हें अब तक भेजे गये सम्मनों पर अमल नहीं किया था। विशेष पीएमएलए अदालत ने पूर्व आईपीएल प्रमुख ललित मोदी के खिलाफ धन शोधन से संबंधित मामले में गैर जमानती गिरफ्तारी वारंट जारी किया है।
विशेष न्यायाधीश पीआर भावाके ने आज पूछा कि एजेंसी ने उन्हें गिरफ्तार क्यों नहीं कर रही है और गैर जमानती वारंट मांगा। उन्होंने जानना चाहा कि क्या जांच के दौरान वारंट जारी किया जा सकता है। ईडी के वकील हितेन वेनेगांवकर ने कहा कि ललित मोदी भारत में उपलब्ध नहीं हैं, इसलिए एनबीडब्ल्यू जारी किया जाना चाहिए। उन्होंने दावा किया कि ललित को 2009 से जारी किये गये सम्मनों का उन्होंने पालन नहीं किया है।
न्यायाधीश ने पूछा कि क्या ललित मोदी अदालत के समक्ष आरोपी हैं क्योंकि ईडी ने उनके खिलाफ आरोपपत्र दाखिल नहीं किया है। न्यायाधीश भावाके ने कहा कि एनबीडब्ल्यू जारी करने के लिए व्यक्ति को अदालत के समक्ष आरोपी होना चाहिए। गौर हो कि बीसीसीआई ने 2010 में ललित मोदी के खिलाफ चेन्नई में प्राथमिकी दर्ज की थी। 2008 में बीसीसीआई ने डब्ल्यूएसजी को 91.8 करोड़ डॉलर में 10 साल के मीडिया अधिकार दिये थे।
फिर डब्ल्यूएसजी ने एमएसएम से करार करके सोनी को आधिकारिक प्रसारणकर्ता बनाया। बाद में करार को नौ साल के करार से बदल दिया गया जहां एमएसएम ने डब्ल्यूएसजी को 1.63 अरब डॉलर का भुगतान किया। ईडी ने डब्लयूएसजी मॉरीशस को एमएसएम सिंगापुर द्वारा अनधिकृत तरीके से 425 करोड़ रुपये के सुविधा शुल्क के भुगतान के आरोपों की जांच के लिए 2009 में फेमा कानून के तहत पड़ताल शुरू की थी।
एजेन्सी