नई दिल्ली। भारत में दोनों हाथ जोड़ कर नमस्कार/नमस्ते और प्रणाम करने की परंपरा है। जापानी सिर झुकाकर एक-दूसरे का अभिवादन करते हैं। सलाम और आदाब करते समय भी शारीरिक दूरी बनी रहती है। लेकिन, पिछले कुछ दशकों में हाथ मिला कर (Handshake) अभिवादन का पश्चिमी देशों का तरीका तेजी से लोकप्रिय हुआ है। अब कोरोना वायरस ने बता दिया है कि नमस्ते, नमस्कार, आदाब और सलाम ही अभिवादन के सबसे अच्छे तरीके हैं, हाथ मिलाओगे तो बीमारी बांटोगे या ले आओगे। कोरोना वायरस की वजह से हो रही मौतों ने लोगों का नजरिया बदल दिया है। इंग्लैंड से लेकर अमेरिका तक लोग हाथ मिलाने की जगह नमस्ते कर रहे हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी इसे अभिवादन का सुरक्षित तरीका बता रहे है। संक्रामक बीमारियों (Infectious diseases) के शीर्ष अमेरिकी विशेषज्ञ एंथनी फॉसी ने भी जोर देकर कहा है, “लोगों को अब कभी भी एक-दूसरे से हाथ नहीं मिलाना चाहिए। इससे न केवल नोवल कोरोना वायरस को फैलने से रोका जा सकेगा बल्कि दुनियाभर में इन्फ्लुएंजा के मामलों में भी बड़ी गिरावट आएगी।”
एंथनी फॉसी अमेरिका की नेशनल इंस्टिट्यूट ऑफ एलर्जी ऐंड इन्फेक्शस डिजीजेज के डायरेक्टर। फिलहाल वह कोरोना वायरस पर व्हाइट हाउस टास्क फोर्स के प्रमुख सदस्य हैं।
ऑल इंडिया रेडियो की वेबसाइट पर प्रकाशित खबर के मुताबिक, एंथनी फॉसी ने कहा कि लोगों के दैनिक रूटीन में हाथ धोना बिल्कुल अनिवार्य होना चाहिए। हाथ धोने और किसी से हाथ नहीं मिलाने की आदत से कोरोना वायरस का संक्रमण तो रुकेगा ही, इन्फ्लुएंजा के मामले भी तेजी से घटेंगे। फॉसी ने जोर देकर कहा कि हाथ नहीं धोना और एक-दूसरे से हाथ मिलाना श्वसन संबंधी बीमारियां एक से दूसरे व्यक्ति में भेजने के बड़े तरीके हैं। वायरस का फैलाव रोकने के उपाय पूछे जाने पर एंथनी फॉसी ने कहा कि एक तो है कि बिल्कुल अनिवार्य रूप से हाथ धोना और दूसरा, कभी भी किसी से हाथ नहीं मिलाना।
गौरतलब है कि हाथ मिलाकर अभिवादन करना अमेरिकी संस्कृति का हिस्सा रहा है। लेकिन, कोरोना वायरस की भयावहता को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप हाथ मिलाने का रिवाज छोड़ने की बात कई बार कह चुके हैं। ब्रिटेन के प्रिंस चार्ल्स भी नमस्ते करते दिखे हैं।
कोरोना वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारी कोविड-19 ने दुनियाभर में करीब 90 हजार लोगों की जान ले ली है जबकि 15 लाख से ज्यादा लोग अब भी बीमार हैं।