नयी दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट में शपथ पत्र दायर कर केन्द्र सरकार ने रोहिंग्या मुसलमानों को देश के लिए खतरा बताया तो जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्लाह को बुरा लग गया। उन्होंने केन्द्र सरकार के हलफनाम पर सवाल उठाते हुए पूछा कि ये खतरे का इनपुट सरकार को कब मिला। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट में दायर हलफनामे में सोमवार को केंद्र सरकार ने कहा है कि कुछ रोंहिग्या शरणार्थियों का पाकिस्तान समर्थित आतंकियों से संपर्क है, इसलिए वह देश के लिए खतरा हैं।
अब्दुल्ला ने ट्वीट कर कहा है कि यह एक खतरा, अगर ऐसा है तो जम्मू-कश्मीर में ऐसा 2014 के बाद ही हुआ होगा। पहले तो यूनिफाइड हेडक्वार्टर मीटिंग में इस तरह की कोई इंटेलिजेंस रिपोर्ट सामने नहीं आई।
गौरतलब है कि सोमवार को रोहिंग्या मुस्लिमों को वापस म्यांमार भेजने की योजना पर केंद्र सरकार ने 16 पन्नों का हलफनामा दायर किया है। इस हलफनामे में केंद्र ने कहा कि कुछ रोहिग्या शरणार्थियों के पाकिस्तान स्थित आतंकी संगठनों से संपर्क का पता चला है. ऐसे में ये राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से खतरा साबित हो सकते हैं।
This threat, at least in J&K, is a post 2014 development. No such intelligence reports ever came up for discussion in Unified HQ meetings. https://t.co/xLM0qWQBXL
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) September 18, 2017
केंद्र ने अपने हलफनामे में साथ ही कहा, ’जम्मू, दिल्ली, हैदराबाद और मेवात में सक्रिय रोहिंग्या शरणार्थियों के आतंकी कनेक्शन होने की भी खुफिया सूचना मिली है। वहीं कुछ रोहिंग्या हुंडी और हवाला के जरिये पैसों की हेरफेर सहित विभिन्न अवैध व भारत विरोधी गतिविधियों में शामिल पाए गए।’
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र ने कहा कि कई रोहिंग्या मानव तस्करी में भी शामिल पाए गए। वे बिना किसी दस्तावेज के एजेंटों की मदद से म्यांमार सीमा पार कर भारत आ गए और फिर यहां पैन कार्ड और वोटर आईडी जैसे भारतीय पहचान पत्र बनवाकर यहां अवैध तरीके से रह रहे हैं। केंद्र ने साफ किया कि इन अवैध रोहिंग्या शरणार्थियों को देश के नागरिकों जैसे अधिकार नहीं दिए जा सकते।