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तीन बड़े डॉक्टरों की राय : रेमडेसिविर को “रामबाण” न समझें, बदन दर्द-खांसी-अपच जैसे लक्षण हैं तो कोरोना जांच कराएं

नई दिल्ली। देश में कोरोना की दूसरी लहर में अस्पताल बेड और ऑक्सीजन की कमी से जूझ रहे हैं। रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी हो रही है। ऐसे में लोगों की गलतफहमी दूर करने के लिए देश के तीन बड़े डॉक्टर आगे आए हैं। एम्स के डायरेक्टर डॉ. रणदीप गुलेरिया, नारायणा हेल्थ के डॉ. देवी शेट्टी और मेदांता के डॉ. नरेश त्रेहन ने बुधवार को कोरोना संक्रमण के इलाज पर बात की। इन नामी डॉक्टरों ने बताया कि रेमडेसिविर को लोग “मैजिक बुलेट” या “रामबाण” न समझें। बहुत कम मरीजों को इसकी जरूरत पड़ती है।

डॉ. देवी शेट्टी ने कहा, “अगर आपको बदन दर्द, सर्दी, खांसी, अपच, उल्टी जैसे लक्षण हैं तो मेरा सुझाव है कि आप कोविड-19 की जांच करा लीजिए। यह सबसे महत्वपूर्ण है। ऐसी संभावना है कि आप एसिंपटिक हो सकते हैं और ऐसे में डॉक्टर आपको घर पर पृथकवास में रहने, मास्क पहनने और अपना ऑक्सीजन सैचुरेशन हर 6 घंटे में चेक करने के लिए कहेंगे।”

एम्स के डायरेक्टर डॉ. गुलेरिया ने कहा कि कोविड से संक्रमित 85 प्रतिशत लोग बिना किसी विशिष्ट इलाज (रेमडेसिविर आदि) के बिना ठीक हो जाएंगे। ज्यादातर लोगों में सामान्य सर्दी, गले में खराश आदि जैसे लक्षण होंगे। 5-7 दिनों में वे उपचार के बाद ठीक हो जाएंगे।

डॉ. त्रेहन ने कहा कि रेमडेसिविर कोई “रामबाण” नहीं है। डॉक्टरों ने कहा कि रेमडेसिविर की जिन्हें जरूरत है, ऐसे मरीजों का प्रतिशत काफी कम है। डॉ. गुलेरिया ने कहा कि यह समझना महत्वपूर्ण है कि अधिकतर जो होम आइसोलेशन में या अस्पताल में हैं वे घबराहट के कारण हैं, इन्हें वास्तव में किसी विशिष्ट उपचार की आवश्यकता नहीं है। बहुत कम प्रतिशत में लोगों को रेमडेसिविर की आवश्यकता होती है। इसे जादू की गोली न समझें।

ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है तो सुरक्षा के तौर पर इसका उपयोग न करें

तीनों डॉक्टरों ने कहा कि एक देश के तौर पर अगर हम साथ काम करें, ऑक्सीजन और रेमडेसिविर का ईमानदारी से इस्तेमाल करें तो कहीं भी इसकी कमी नहीं होगी। जितने लोगों को ऑक्सीजन की जरूरत है, उसके लिहाज से ऑक्सीजन की सप्लाई संतुलित है। डॉ. नरेश त्रेहन डॉ. नरेश त्रेहन ने कहा, “अगर हम विवेकपूर्ण तरीके से इस्तेमाल करने की कोशिश करें तो आज हमारे पास पर्याप्त ऑक्सीजन है। मैं लोगों से कहना चाहता हूं कि अगर आपको ऑक्सीजन की जरूरत नहीं है तो सुरक्षा के तौर पर इसका उपयोग न करें। ऑक्सीजन की बर्बादी से यह उस व्यक्ति को नहीं मिलेगी जिसे इसकी जरूरत है।”

gajendra tripathi

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